जामिया और एनएफसी हिंसा में चार्जशीट दाखिल, शरजील को भी आरोपी बनाया
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नई दिल्ली.जामिया नगर और न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी इलाके में हुई हिंसक घटनाओं के मद्देनजर पुलिस ने साकेत कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। दोनों ही मामले में पुलिस ने कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया था। यह चार्जशीट 13 फरवरी को दाखिल की गई, जिसमें हिंसा के दौरान मौके पर मिले 3.2 एमएम पिस्टल से चले खाली खाेल का भी जिक्र है। पुलिस ने इस मामले में सौ लोगों को गवाह बनाया है। खास बात यह कि चार्जशीट में जामिया मिल्लिया विवि के किसी भी छात्र का नाम शामिल नहीं है, लेकिन देशद्रोह के मामले में फंसे शरजील इमाम का नाम है। उस पर जामिया में हिंसा भड़काने का अाराेप है।
मंगलवार काे इसे पुलिस ने साकेत कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। जामिया और एनएफसी इलाके में 15 दिसंबर को दंगे की घटना हुई थी, जिसमें छह बसों और तीन प्राइवेट वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया था। दोनों ही मामले में कुल 95 लोग घायल हुए थे। इनमें 47 पुलिसकर्मी शामिल हैं। इन केसों की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी। कुछ रोज पहले 13 फरवरी को बेहद गोपनीय तरीके से पुलिस ने सीएम साउथ ईस्ट साकेत कोर्ट में यह चार्जशीट फाइल की। उसमें सिलसिले वार ढंग से दोनों जगह हुई हिंसक घटनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई है। चार्जशीट के जरिए पुलिस ने कोर्ट के समक्ष बताया जामिया मामले में आठ और न्यू फ्रैंडस कॉलोनी केस में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सभी आरोपी लोकल हैं। इनमें अभी चार आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं।
क्राइम ब्रांच की एसआईटी ने जामिया पहुंच जांच की
सुरक्षा बलों द्वारा छात्रों से मारपीट के कई वीडियो सामने आने पर मंगलवार शाम क्राइम ब्रांच की टीम जामिया विवि गई। खुद डीसीपी राजेश देव वहां जांच करने गए। पुलिस उस दावे की सच्चाई का पता करने के लिए गई जो वीडियो में नजर आया है। पुलिस को वीडियो में छेड़छाड़ की आंशका है। क्राइम ब्रांच के अधिकारी लाईब्रेरी में भी पहुंचे, जहां सुरक्षा कर्मियों द्वारा छात्रों पर लाठी से पीटने के दृश्य दिखाए गए हैं। इस टीम ने छात्राें के साथ सिक्यूरटी गार्ड और प्रशासन के लोगों से भी बात की। यहां करीब तीन घंटे तक टीम ठहरी। पुलिस सूत्रों का कहना है आने वाले दिनों में जामिया के कुछ छात्रों से पूछताछ की जा सकती है। कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है यह रुटीन इन्वेस्टीगेशन प्रोसेस है। पुलिस लगातार विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने जाती रहती है।
हिंसा के पीछे पीएफआई की भूमिका भी जांच हो रही
दोनाें जगह दंगे के पीछे पीएफआई नामक संस्था का नाम प्रत्यक्ष रूप से सामने आया था, जिसकी भूमिका को पुलिस अभी वैरिफाई करने में लगी है। पुलिस सूत्रों का कहना है जरूरत पड़ने या तफ्तीश में नए तथ्य सामने आने पर सप्लीमेंट चार्जशीट भी दाखिल की जा सकती है। पुलिस ने कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज और सीडीआर डिटेल दी।
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