देश में महिलाओं की स्थिति पर बनी है विद्या बालन की शॉर्ट फिल्म 'नटखट', बोलीं- 'भारत की क्या इमेज बनेगी इससे फर्क नहीं पड़ता'
शान व्यास के निर्देशन में बनीं शॉर्ट फिल्म नटखट 2 जून को रिलीज कर दी गई है। एक्ट्रेस पहली बार किसी शॉर्ट फिल्म में नजर आई हैं इसके साथ उन्होंने फिल्म को-प्रोड्यूस भी की है। नटखट फिल्म एक मां बेटे की कहानी पर आधारित है। हाल ही में दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में विद्या ने फिल्म से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए हैं।
किन गंभीर मुद्दों पर बनी है नटखट?
हमारे पुरुष प्रधान समाज में मर्द औरतों किस तरीके से ट्रीट करता है, देखता है? आदमी और औरत के बीच जो रिश्ता है उसके क्या मायने हैं? उसके क्या उसूल हैं? समाज में औरतों की जगह क्या है? इन सब मुद्दों पर नटखट फिल्म में सवाल उठाए गए हैं।
मुद्दों को किस नएपन के साथ दिखाया गया है?
इन सभी सवालों के जवाब मां बेटे के रिश्ते के द्वारा दिए गए हैं। मां अपने बच्चे को कहानी सुनाती है। उसकी स्थिति जो भी हो वो चाहती है कि उसका बच्चा उसके इर्द-गिर्द के परिवार और समाज के मर्दों की तरह ना बने, इसलिए वो कहानियों के द्वारा अपने बेटे को सिखाती है। यह एक नयापन नटखट में है।
फिल्म में किन पहलुओं पर बात की गई है?
इससे पहले भी इन सब मुद्दों पर फिल्में बनती रही हैं। मगर जब भी कोई रेप होता है तो हमारे दिमाग में यह सवाल जरूर उठता है कि पारिवारिक सामाजिक स्थिति की वजह से एक ऐसा इंसान पैदा हुआ। कई बार लगता है कि परवरिश सबसे ज्यादा जरूरी है। इसमें मां अपने बेटे को औरत को देखने का एक नया नजरिया देती है। यह मेरे ख्याल से पहली बार हो रहा है।
ऐसी फिल्मों से इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में भारत की क्या इमेज बनती है?
अगर इन मुद्दों पर हमने फिल्म बनाई तो क्या फर्क पड़ता है कि इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में क्या इमेज होगी। यह हिंदुस्तान की सच्चाई है। यह शर्म की बात नहीं है। हमने यह दूसरों के लिए नहीं बनाया, यहां के लिए बनाया है ताकि लोग देखें, सोचें, जागे और जागरुकता लाए। अगर खुद की बात करूं तो कभी नहीं सोचा कि लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे। यह सिर्फ हिंदुस्तान की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की प्रॉब्लम है।
ग्रामीण लोगों का किरदार निभाने के लिए प्रेरणा कैसे मिली?
मेरी कोशिश होती है कि मैं जब कभी कोई किरदार निभाऊं तो उस का हिस्सा बन जाऊं। एक्टर का तो काम ही है किरदार की शख्सियत से दूरी को मिटाना। यही मेरा काम है और यही कोशिश मेरी हमेशा रहती है।
लॉकडाउन में क्या नेताओं नें कम मदद की?
मुझे लगता है कोविड-19 ने जो दुनिया भर में हलचल मचाई हुई है, किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ होगा। यह अकल्पनीय है। चाहें आप नेताओं की बात करे या नौकरशाहों की, किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस तरह की स्थिति से कभी डील करना होगा। मैं वक्त किसी की कमी निकालने में जाया नहीं करना चाहती। मुझसे जो बन पाता है, मैं करती हूं। कोई और कितना करेगा या उसे करना चाहिए, वह नहीं सोचती।
लॉकडाउन खुलते ही कौन शूटिंग करने आगे आएगा?
पता नहीं कौन एक्टर, प्रोड्यूसर या डायरेक्टर काम सबसे पहले शुरू करेगा। मैं बस यही उम्मीद कर रही हूं कि ना सिर्फ हमारी इंडस्ट्री, बल्कि लोगों की आम जिंदगी जल्द से जल्द नॉर्मल हो जाए। इस डर को लेकर हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। बस अपना ख्याल रखें, मास्क पहने, ग्ल्व्स पहनें, सोशल डिसटेनसिन्ग मेनटेन करें।
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