अस्पताल में रिटायर्ड प्रिंसिपल की चाकुओं से गोदकर हत्या, झगड़े के बाद मेडिकल कराने आए थे दोनों पक्ष
बल्लभगढ़ के सेक्टर दो की साईं कृपा धाम सोसाइटी में पैसों के लेन-देन को लेकर दो पक्षों में मारपीट के बाद बल्लभगढ़ की एम्स शाखा में मेडिकल कराने गए रिटायर्ड प्रिंसिपल उमाशंकर को आरोपियों ने चाकुओं से गोदकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायल को वहां से तुरंत निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। घटना मंगलवार देर रात की है।
सरकारी अस्पताल में हत्या की घटना ने पुलिस की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि रात में शहर में कर्फ्यू लागू होने के बाद भी पुलिस का अता पता नहीं था। यही नहीं अस्पताल की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही से रिटायर्ड प्रिंसिपल की हत्या हुई है। यदि पुलिस खुद लेकर मेडिकल कराने जाती तो ऐसी घटना नहीं होती। पुलिस ने अपना पीछा छुड़ाने के लिए दोनों पक्षों को मेडिकल कराने अस्पताल भेज दिया।
सोसाइटी के पैसों को लेकर चल रहा था विवाद
मृतक के भाई पूरनमल ने आदर्शनगर थाने में दी शिकायत में कहा कि उनके भाई उमाशंकर प्रिंसिपल पद से रिटायर्ड थे। वह परिवार के साथ सोसाइटी के फ्लैट नंबर 203 में रहते थे। वर्तमान में वह सोसाइटी के प्रधान थे। इसी सोसाइटी में रहने वाले सदस्य महेश, दीपक, मनीष सक्सेना, प्रेम कुमार, चिराग पर लेन-देन बकाया था। उमाशंकर प्रधान होने के नाते इनसे हिसाब करने के लिए कहते। इस बात को लेकर आरोपी कई बार उमाशंकर के साथ पहले भी झगड़ चुके थे। प्रेम कुमार आदि पर पहले भी सोसाइटी की तरफ से मुकदमा दर्ज है।
हिसाब करने के लिए ऑफिस में बुलाया था
पूरनमल का कहना है कि मंगलवार रात करीब 8 बजे आरोपियों ने उमाशंकर और उनके बेटे नरेश को सोसाइटी के आफिस में हिसाब किताब करने के लिए बुलाया। वहां दोनों पक्षों में विवाद हो गया। इसके बाद आरोपियों ने उमाशंकर और उनके बेटे नरेश पर हमला कर घायल कर दिया। इस घटना में आरोपी पक्ष के लोग भी घायल हुए।
वह कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस के पास पहुंच गए। पुलिस ने आरोपियों को एमएलआर के लिए अस्पताल भेज दिया। इसके बाद पीड़ित पक्ष के लोग भी कानूनी कार्रवाई के लिए अग्रसेन पुलिस चौकी पहुंच गए। पुलिस ने उमाशंकर को भी मेडिकल कराने के लिए सरकारी अस्पताल बल्लभगढ़ भेज दिया। रात करीब 10.30 बजे जब अस्पताल पहुंचे तो वहां दीपक, महेश, मनीष सक्सेना और प्रेम कुमार पहले से ही बैठे थे।
इमरजेंसी वार्ड में अचानक चाकुओं से हमला
बताया जाता है इमरजेंसी वार्ड में दोनों पक्षों के कई लोग जमा हो गए थे। भीड़ को देखते हुए डॉक्टर ने घायलों को छोड़ बाकी लोगों को बाहर जाने के लिए कह दिया। इसके बाद सतेन्द्र, पवन और नरेश इमरजेंसी वार्ड से बाहर निकलकर गेट पर खड़े हो गए। इसी दौरान आरोपी महेश का बेटा पीयूष उर्फ पासु अपने साथी चिराग के साथ अन्दर आया। अंदर आते ही पीयूष उर्फ पासु ने जेब से चाकू निकालकर रिटायर्ड शिक्षक उमाशंकर पर चाकुओं से हमला कर दिया। मृतक के भाई का आरोप है कि आरोपी महेश और दीपक ने उमाशंकर का दोनों हाथ पकड़ रखा था ताकि वह विरोध न कर सकें। आरोपियों ने शिक्षक की हत्या कर उनके परिजनों को जान से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गए।
सोसाइटी में बड़े पैमाने पर हुआ है गबन
पीड़ित परिवार का कहना है कि आरोपियों ने करीब 10-12 साल से सोसाइटी पर कब्जा कर रखा था। दोनों भाइयों ने मिलकर सोसाइटी के फंड में मेंटिनेंस को लेकर बड़े पैमाने पर गबन किया। विरोध के बाद प्रेम कुमार को प्रधान पद से हटाकर उनके भाई दीपक को प्रधान बना दिया। आरोप है दीपक भी अपने भाई के राह पर चल पड़े। पैसों के बंटवारे को लेकर दोनों भाइयों में विवाद होने लगा।
अस्पताल में भर्ती मरीजों की सुरक्षा पर सवाल
बल्लभगढ़ की एम्स शाखा में रात को अक्सर मरीज आते-जाते रहते हैं। कोरोना के कारण अभी किसी वार्ड में मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे। फिर भी इमरजेंसी में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। जिस तरह से अस्पताल में घुसकर रिटायर्ड प्रिंसिपल की हत्या की गई उससे अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। ये हाल तब हैं जब रात में भी करीब दर्जनभर सुरक्षा गार्ड यहां रहते हैं।
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