राजधानी में बढ़ते प्रदूषण स्तर पर केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने
देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर प्रदूषण का स्तर आसमान छूने लगा है और एक फिर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार इसका दोष एक-दूसरे के ऊपर मढ़ने में व्यस्त हो गई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में आस-पास के राज्यों में पराली जलाने का सिर्फ चार फीसदी योगदान है।
जवाब में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर ऐसा हो तो प्रदूषण का स्तर तब से ही क्यों बढ़ा है जब से पराली जलाने का दौर शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि समस्या को स्वीकार नहीं करने से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है।
जावड़ेकर ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में 96 फीसदी हिस्सेदारी धूल, निर्माण और बायोमास जलने जैसे स्थानीय कारकों की हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि गुरुवार से निरीक्षण के लिए दिल्ली-एनसीआर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण (सीपीसीबी) की 50 टीमों की तैनाती की गई है। ये टीमें 15 अक्टूबर से 28 फरवरी तक प्रदूषण वाले सभी हॉट स्पॉट का निरीक्षण करेगी।
पराली जलाए जाने के मामले में उन्होंने हालांकि पंजाब सरकार को जरूर नसीहत दी। जावड़ेकर ने कहा कि पंजाब में पिछले साल से ज्यादा पराली जल रही है, केंद्र सरकार ने इतनी अधिक मशीन दी है, पंजाब सरकार को ध्यान देना चाहिए कि वहां पराली ज्यादा न जले। उन्हों कहा कि पिछले साल जब वे इसी मौसम में लुधियाना गए थे तो एसी कार में बैठने के बावजूद पराली के धुएं के कारण उनका गला बैठ रहा था।
जावड़ेकर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कहा अगर पराली जलाए जाने का दिल्ली के प्रदूषण में महज 4 फीसदी योगदान है तो पिछले पखवाड़े से ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ गया है। उससे पहले तो हवा बिल्कुल साफ थी। स्थानीय स्तर पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण के स्थानीय स्त्रोत में कोई इजाफा नहीं हुआ है।
हर साल की अब एक की कहानी बन गई है। वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने कहा कि खुद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2019 में अनुमान जताया था कि पराली जलाए जाने की दिल्ली के प्रदूषण में 44 फीसदी हिस्सेदारी है। अब जावड़ेकर नया आंकड़ा लेकर आ गए हैं।
रेड लाइन ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान
सीएम केजरीवाल ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल रेड होते ही अपने-अपने वाहन को ऑफ कर दें। ऐसा करने से प्रदूषण तेजी से नीचे जा सकता है। दिल्ली की हवा में मौजूद हानिकारक पीएम10 के कण (पार्टिकल्स) डेढ़ लाख टन तक काम हो सकते हैं।
हवा की क्वालिटी 'बहुत खराब' हुई
गुरुवार को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की क्वालिटी 'बहुत खराब' (वेरी पुअर) रही। इसके बाद इलेक्ट्रिसिटी जेनरेटर पर बैन जैसे कई सख्त कदम उठाए गए। नासा के सैटेलाइट इमेज से अमृतसर, पटियाला, फिरोजपुर, अंबाला, राजपुरा जैसे इलाकों में पराली जलाए जाने से धुएं के क्लस्टर की पुष्टि होती है। हालांकि, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक इसका एक्यूआई पर बहुत कम असर है।
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