ऑपरेशन बिहार के लिए BJP के मोहरे तैयार, 'V-H' को आगे कर 2024 से पहले भाजपा करेगी खेला!
नील कमल, पटना: बीजेपी ने बिहार ऑपरेशन को अमलीजामा पहनाने का काम शुरू कर दिया है। को बिहार प्रभारी और हरीश द्विवेदी को सह प्रभारी बनाकर माइक्रो स्तर पर सांगठनिक फेर बदल करने के संकेत की पुष्टि कर दी है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व बिहार में बीजेपी नीत एनडीए गंठबंधन की सरकार के चले जाने के बाद वर्तमान प्रदेश के संगठन और सरकार में शामिल मंत्रियों पर अपना भरोसा खो चुकी थी। भाजपा बिहार में संयुक्त कार्य समिति के बहाने एक साथ झारखंड और बंगाल पर निशाना साधना चाह रही थी, लेकिन मामला इस कदर सिफर साबित हुआ कि बिहार में सत्ता भी हाथ से चली गई। कार्यकारिणी की बैठक में बदलाव का मन बना कार्यकारिणी के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस प्रकरण के बाद बिहार में नए सिरे से प्रदेश भाजपा के भीतर एक नए नेतृत्व की तलाश के साथ नए साथियों की भी तलाश तेज कर दी गई थी। वर्तमान प्रदेश भाजपा के दिग्गजों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी का मंजर यही था कि इस बार केंद्रीय चुनाव समिति में बिहार से कोई नहीं है। मसला यहीं पर ही नहीं रुका, बल्कि नाराज केंद्रीय नेतृत्व ने यहां तक कह डाला कि बड़े पैमाने पर संगठनात्मक फेर बदल किए जाएंगे। संगठन का चेहरा बदल दिया जाएगा। यह परिवर्तन प्रदेश के मूल संगठन के साथ-साथ मोर्चा और प्रकोष्ठ को भी नए सिरे से नए चेहरे के साथ प्रतिस्थापित किया जाएगा। बिहार को नहीं मिला तवज्जो 15 राज्यों के प्रभारी और सह प्रभारी के नामों की घोषणा के बाद प्रदेश संघटन ठगा सा महसूस कर रहा है। इस बार बिहार से केवल तीन लोगों को शामिल किया गया है। जिनमे मंगल पांडे को प्रभारी, नितिन नवीन को सह प्रभारी और ऋतुराज को सह संयोजक बनाया गया है। यानी कि एक ब्राह्मण और दो कायस्थ। हालांकि राज्य में महागठबंधन की सरकार को देखते हुए प्रभारियों की घोषणा संतुलित नहीं कहा जा रहा है। एक भाजपाई ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि एक तो बिहार को तीन पद मिला और तीनों सवर्णों को। पिछड़ों की राजनीत कर रही महागठबंधन की सरकार के विरुद्ध पिछड़ा-अतिपिछड़ा का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गिर सकता है प्रदेश अध्यक्ष पर भी गाज कहा तो जा रहा है कि सितंबर में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। इस लिहाज से भी प्रदेश भाजपा में बदलाव होनी थी। सब कुछ ठीक रहता तो वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष को दोबारा जिम्मेवारी दी जा सकती थी। परंतु 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बदलाव किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि पहले सदस्यता अभियान शुरू किया जाएगा। सदस्यता अभियान की पहले तिथि घोषित होगी। प्रखंड, जिला और फिर मुख्यालय तक सदस्यता अभियान की रिपोर्ट देने की अंतिम तारीख घोषित होगी। तब जाकर भाजपा के पुराने-नए सदस्यों के आधार पर अपना नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेगी। इसके बाद संघटन के अन्य पदों को लेकर भी निर्णय लिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि ये सब करने में तीन माह का समय लग सकता है।
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