नाराज चल रहे अजित, शरद पवार के बाद खत्म हो जाएगी दो धड़ों में बंटी एनसीपी? समझें क्या है अंदरूनी कलह
मुंबई: राजनीति के चाणक्य और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की पार्टी फिलहाल अंदरूनी कलह और गुटबाजी से जूझ रही है। जब पार्टी सत्ता में थी तब तक यह सब कुछ छिपा हुआ था लेकिन सरकार जाते ही अब यह खुलकर सामने आ रहा है। इसका ताजा उदाहरण आज एनसीपी के आठवें राष्ट्रीय अधिवेशन में देखने को मिला। मंच पर सबसे पहले पार्टी प्रमुख शरद पवार ने अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संबोधित किया। जिसके बाद महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल को मंच पर संबोधन के लिए बुलाया गया। इसके बाद तीसरे नंबर पर शरद पवार के भतीजे और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अजित पवार को संबोधित करना था लेकिन वो नाराज होकर मंच से चले गए और आखिर तक वापस नहीं लौटे। आलम यह था कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल पटेल यह कहते रहे कि दादा (अजित पवार) वॉशरूम (टॉयलेट) गए हैं जल्द ही आएंगे। यह पल शरद पवार के लिए हैरत और दुख दोनों से भरा हुआ था। मंच पर इस तरह की बेइज्जती का अहसास शायद उन्होंने पहले कभी नहीं किया होगा। वो भी अपने ही भतीजे की वजह से, खैर यह अनुसाशनहीनता अजित पवार इसके पहले भी कर चुके हैं। आखिर अजित पवार नाराज क्यों है? अजित पवार का मंच से इस कदर चले जाना महाराष्ट्र की सियासत में अब आम जनता के लिए कचहरी का एक नया मुद्दा बन चुका है। कल तक जो लोग राज ठाकरे और बाल ठाकरे ( चाचा- भतीजा) और उद्धव ठाकरे की पार्टी में फूट पर चर्चा करते हुए नहीं थकते थे। अब वो राज्य की दूसरी चाचा- भतीजा (अजित पवार और शरद पवार) की जोड़ी पर चर्चा कर रहे हैं। अजित पवार के मंच से जाने के बाद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबारी भी की। एक तरह से यह उनके समर्थकों का शक्तिप्रदर्शन भी था। हालांकि हमेशा की तरह इस बार भी अजित पवार को मनाने की जिम्मेदारी शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को दी गई है। वो उनके अजित पवार के पीछे गईं भी लेकिन बात नहीं बनी। दो धड़ों में बंटी एनसीपी महाराष्ट्र की सियासत में यह बात किसी से छिपी नहीं है कि एनसीपी दो धड़ों में बंटी हुई है। जिसमें एक धड़ा सुप्रिया सुले का सुप्रिया सुले का समर्थन करता है तो दूसरा अजित पवार का। जयंत पाटिल भी विरोधी खेमे के माने जाते हैं। शरद पवार की ही तरह महाराष्ट्र की सियासत में अजित पवार के बारे में कहा जाता है कि उनके मन में क्या चल रहा है यह कोई नहीं जानता। सुबह 6 बजे से काम...यूंही खास नहीं अजित पवार महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार और सुप्रिया सुले के खेमे में जितेंद्र आव्हाड, जयंत, दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल जैसे कद्दावर नेता हैं तो अजित पवार को मानने वाले धनजंय मुंडे, सुनील तटकरे जैसे कई नेता हैं। इस बात कोई भी कोई इनकार नहीं करता है कि एनसीपी में शरद पवार के बाद अजित पवार जैसा कोई मास लीडर नहीं है। इसके पीछे उनकी कार्यशैली है। राज्य में हर कोई जानता है कि अजित पवार सुबह 6 बजे से ही काम मे जुट जाते हैं और देर रात तक काम करना, लोगों और कार्यकर्ताओं से मिलना उनकी आदत में हैं उनकी यह विशेषता उन्हें पार्टी में अन्य नेताओं से अलग करता है। अजित पवार की कार्यशैली की तारीफ सदन में खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी कर चुके हैं। शायद इसी वजह से आज अजित पवार को जब मंच पर तीसरे नंबर पर संबोधन के लिए बुलाया गया तो वो बिफर गए और वहां से चले गए। 2019 में पार्टी से हो गए थे अलग हालांकि आज के समय में पार्टी अजित पवार की नाराजगी पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है। हालांकि इसके पहले जब भी वो नाराज हुए हैं उन्हें मना लिया गया है लेकिन क्या इस बार भी वो मानेंगे और क्या उन्हें पहले की तरह मनाया जाएगा यह भी एक सवाल है। साल 2019 में अजित पवार की नाराजगी और देवेंद्र फडणवीस के साथ सुबह-सुबह सरकार बनाने की कारनामा पूरे देश और दुनिया ने देखा था। उस दौरान भी अजित पवार का विरोधी खेमा उन्हें पानी पी-पीकर भला बुरा कह रहा था। हालांकि तब शरद पवार उनकी नाराजगी दूर करने में कामयाब रहे थे। दोबारा पार्टी में आने के बाद उन्हें सरकार और पार्टी में नंबर दो की पोजीशन भी दी गई थी। जिसके बाद उन्होंने महाविकास अघाड़ी सरकार में ढाई साल तक उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। शरद पवार के बाद पार्टी का क्या होगा? हालांकि, सियासत में न तो कोई किसी का परमानेंट दुश्मन होता है और न दोस्त इस बात पर अगर गौर करें तो अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की दोस्ती आज भी कायम है। पिछली सरकार में अजित पवार अन्य लोगों पर निशाना साधते हुए नज़र आये थे लेकिन वो बीजेपी या फडणवीस पर तल्ख टिप्पणी करने से बचते रहे हैं। ऐसे में यह भी कयास लगाए जाएंगे कि अजित पवार का खेमा शिंदे फडणवीस के साथ भी जा सकता है। हालांकि शरद पवार के रहते हुए यह काफी मुश्किल है लेकिन जिस तरह से अजित पवार ने सुबह-सुबह सरकार बनाई थी। उसके बाद किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। एनसीपी के कई नेता दबी जुबान में यह भी कहते हैं कि जब शरद पवार नहीं रहेंगे तब पार्टी भी टूट जाएगी। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि एनसीपी जिस कांग्रेस से अलग होकर बनी थी वापस उसी के शामिल हो जाएगी। बहरहाल आज की मीटिंग में शरद पवार ने बताया कि एनसीपी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। जिसमें बाद पार्टी अब और भी दमखम के साथ लोकसभा और अन्य चुनावों में उतरेगी। हालांकि शरद पवार ने यह भी बता दिया कि वो पीएम की रेस में न तो थे और न ही आगे इच्छुक हैं। वहीं अजित पवार की नाराजगी इस बार कितनी लंबी चलेगी। साथ ही इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे इसपर भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
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