गड़ा मुर्दा खोद सत्यपाल मलिक ने कैसे फिर कराई बीजेपी की किरकिरी, कश्मीर पॉलिटिक्स गरमाई
नई दिल्ली: सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मुश्किल बढ़ाई है। अपने बयानों से वह बीजेपी सरकार को पहले भी असहज करते रहे हैं। मेघालय के राज्यपाल ने दोबारा वही किया है। गड़े मुर्दे खोदकर उन्होंने कश्मीर पॉलिटिक्स (Kashmir Politics) को गरमा दिया है। हाल में उन्होंने पीपुल्स कांफ्रेंस ( Peoples Conference) के चेयरमैन सज्जाद लोन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की आंखों का तारा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि लोन सिर्फ 6 विधायकों के साथ जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। यह तब की बात है जब सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। मलिक ने साल 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने से पहले पर्दे के पीछे हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर बोलकर सियासी पारा बढ़ा दिया है। उन्होंने ही बतौर राज्यपाल उस समय जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग की थी। पूरा घटनाक्रम नवंबर 2018 का है। उस समय मलिक जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। अपनी प्रतिद्वंदी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के साथ मिलकर वह सरकार बनाना चाहती थी। 21 नवंबर 2018 को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने दावा किया था। मुफ्ती ने कहा था कि उन्होंने गवर्नर हाउस में चिट्ठी फैक्स की थी। इसमें 56 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया था। ये तीन पार्टियों के थे। लेकिन, यह प्राप्त नहीं हो पाया था। मुफ्ती ने तब ट्विटर पर लेटर पोस्ट कर दिया था। उन्होंने कहा था - 'राजभवन में लेटर भेजने की कोशिश की जा रही है। चौंकाने वाली बात है कि यह प्राप्त नहीं हो रहा है। राज्यपाल से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, हो नहीं पाया।' यह तब की बात है जब बीजेपी उसके साथ गठबंधन से बाहर निकली थी। लोन ने भी पेश किया था दावा लेटर के पब्लिक होने के तुरंत बाद लोन ने कहा था कि उनकी पार्टी ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया है। उस वक्त लोन लंदन में थे। लोन ने तब ट्वीट किया था, 'हमने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए राज्यपाल को लेटर भेजा है। फैक्स काम नहीं कर रहा है। हमने गवर्नर के पीए को व्हाट्सऐप किया है।' अपने लेटर में लोन ने बीजेपी और 18 अन्य विधायकों के समर्थन का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी और अन्य विधायकों के समर्थन के लेटर को जब भी मांगा जाएगा सौंप देंगे। उस समय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 87 सीटें थीं। परिसीमन के बाद नए सदन में 90 सदस्य होंगे। इसमें लद्दाख शामिल नहीं है। किसी को भी सरकार बनाने का आमंत्रण देने के बजाय मलिक ने विधानसभा भंग कर दी थी। उन्हें लगता था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के गठंबधन में स्थिर सरकार नामुमकिन है। उन्होंने विधायकों की खरीद-फरोख्त का हवाला भी दिया था। लोन पर सत्यपाल मलिक ने साधा निशाना बीते हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने लोन पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि साल 2018 में विधानसभा भंग होने से कुछ समय पहले पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। हालांकि, उनके पास केवल छह विधायक थे। मलिक ने बताया था कि उन्होंने लोन से पूछा था कि वह उन्हें पत्र लिखकर यह बताएं कि 87 सदस्यीय सदन में उनके पास कितने सदस्यों का समर्थन है। लोन ने कहा था कि उनके पास छह विधायक हैं। लेकिन, मलिक शपथ दिलाएं, तो वह एक सप्ताह में बहुमत साबित कर देंगे। मलिक ने नवंबर 2018 में विधानसभा भंग करने की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए कहा था कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। जून 2018 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गठबंधन से बाहर हो गई थी। इसके बाद महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी सरकार गिर गई थी। मलिक ने बताया था कि उन्होंने लोन से कहा था, 'यह राज्यपाल का काम नहीं है और मैं ऐसा नहीं करूंगा। सुप्रीम कोर्ट मुझे नहीं छोड़ेगा। कल को सुप्रीम कोर्ट कहेगा कि आपने सदन आहूत किया। आप तो हार जाओगे। मैं ऐसा नहीं करूंगा।' मलिक ने कहा था कि पीडीपी-नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के पास बहुमत हो सकता था। लेकिन, ‘बेवकूफी’ यह की कि उन्होंने कोई औपचारिक बैठक नहीं की। कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया। मलिक ने 'द वायर' को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने उस समय तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को स्थिति के बारे में बताया था। केंद्र से निर्देश मांगे थे। मलिक ने कहा कि उन्होंने जेटली को बताया था कि अगर उन्हें सरकार बनाने का दावा करने से संबंधित महबूबा मुफ्ती का पत्र मिलता है, तो वह शपथ दिलाने के लिए बाध्य हो जाएंगे। मलिक ने बताया था कि केंद्र सरकार ने उन्हें कोई सलाह नहीं दी थी। कहा था कि उन्हें जो सही लगता है, वह करें। इसके बाद उन्होंने नवंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी थी। उन्होंने कहा था कि महबूबा मुफ्ती कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस समेत 56 विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल के आवास पर पहुंचना चाहती थीं। लेकिन, इस संबंध में उनका पत्र नहीं पहुंच सका। कारण था कि जम्मू में राजभवन की फैक्स मशीन खराब थी। पॉलिटिक्स हो गई है गरम लोन के प्रतिद्वंद्वियों ने कहा है कि मलिक के खुलासे से यह साबित हो चुका है कि सरकार बनाने का उनका दावा खोखला था। यह बीजेपी और केंद्र के इशारे पर किया जा रहा था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठनबंधन को सरकार बनाने से रोका जा सके। यह पहली बार नहीं है जब सत्यपाल मलिक ने बीजेपी के उलट अपना रुख रखा है। किसान आंदोलन के वक्त भी उन्होंने सरकार के कदम की आलोचना की थी। उन्होंने हाल में आरोप लगाया कि उनसे कहा गया था कि अगर वह चुप रहें तो उन्हें उपराष्ट्रपति बना दिया जाएगा। वह बार-बार मोदी सरकार पर बरसते हुए कहते हैं कि इस्तीफा उनकी जेब में रहता है।
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