Latest Updates

डेनमार्क और जर्मनी के बीच बाल्टिक सागर के अंदर से निकलेगी ट्रेन, जानिए सबसे लंबी सुरंग के बारे में

बर्लिन: के 40 मीटर नीचे दुनिया की सबसे बड़ी रेल सुरंग का काम इन दिनों जोर-शोर से चल रहा है। यह सुरंग डेनमार्क और जर्मनी को आपस में जोड़ेगी और इसकी वजह से दोनों देशों के बीच यात्रा करने में लगने वालर समय बहुत कम हो जाएगा। इस सुरंग की योजना में पूरे 10 साल लग गए और साल 2020 में इसका निर्माण कार्य शुरू हो सका। इसे फेहमर्नबेल्‍ट रेल टनल का नाम दिया गया है। डेनमार्क की तरफ एक अस्‍थायी बंदरगाह का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। यह बंदरगाह उस फैक्‍ट्री के तौर पर काम करेगा जिसकी मदद से 89 बड़े कंक्रीट के स्‍टेशन तैयार हो सकेंगे। ये स्‍टेशन इस सुरंग का अहम हिस्‍सा होंगे। 18 किलोमीटर लंबी रेल सुरंग यह सुरंग करीब 18 किलोमीटर लंबी होगी। यह यूरोप का सबसे बड़ा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट है जिसका बजट 7.1 अरब डॉलर से भी ज्‍यादा है। इसे बनाने का जिम्‍मा डेनमार्क की फेमर्न ए/एस को मिला है। इसके सीईओ हेनरिक विंसेंटसेन के मुताबिक पहली प्रोडक्‍शन लाइन इस साल के अंत तक या फिर अगले साल की शुरुआत तक रेडी हो जाएगी। चैनल सुरंग जो इंग्‍लैंड और फ्रांस को आपस में जोड़ती है वह करीब 50 किलोमीटर लंबी है। साल 1993 में उसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था और उस पर करीब 13.6 मिलियन डॉलर का खर्च आया था। चैनल टनल, फेहमर्नबेल्‍ट सुरंग से ज्‍यादा लंबी है लेकिन उसे उस समय बोरिंग मशीन की मदद से बनाया गया था। फेहमर्नबेल्‍ट सुरंग को पहली ऐसी रेल टनल है जो समुद्र के नीचे से गुजरेगी और सेक्‍शंस की मदद से तैयार किया जा रहा है। बस सात मिनट का समय इस सुरंग को फेहमर्नबेल्‍ट के नीचे से निकाला जाएगा। ये वो हिस्‍सा है जो जर्मनी के फेहमर्न द्वीप और डेनमार्क के लोललैंड को आपस में जोड़ता है। वर्तमान समय में नाव के जरिए लोग सफर करते हैं। इस सुरंग का मकसद 45 मिनट के समय को बस सात मिनट का करना है। हर साल लाखों लोग रोड्बी और पुटगार्डन के बीच का रास्‍ता नाव की मदद से तय करते हैं। यहां तक जहाज से पहुंचने में 45 मिनट, रेल से पहुंचने में सा‍त मिनट और कार से बस 10 मिनट का समय लगता है। रेल ट्रैक के अलावा मोटर वे भी फेहमर्नबेल्‍ट सुरंग का आधिकारिक नाम फेहमर्नबेल्‍ट सुरंग फिक्‍स्‍ड लाइन है और यह दुनिया की पहली ऐसी सुरंग होगी जो सड़क और रेल दोनों मार्गों को मिलाकर बनेगी। डबल लेन मोटरवे वाली सुरंग को एक सर्विस मार्ग और दो इलेक्‍ट्रीफाइड रेल ट्रैक्‍स अलग करेंगे। कंपनी के टेक्निकल डायरेक्‍टर जीन ओले कासुलंद ने बताया कि अभी कोपनहेगन से हैम्‍बर्ग तक का सफर करने में रेल से साढ़े चार घंटे का समय लगता है। लेकिन इस सुरंग के बाद यह रास्‍ता सिर्फ ढाई घंटे का ही रह जाएगा। साल 2008 में शुरू हुआ प्रोजेक्‍ट इस प्रोजेक्‍ट की शुरुआत साल 2008 में हुई थी। उस समय के बीच इस बाबत एक समझौते पर साइन हुए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच रास्‍ता बनाने से जुड़ी कानूनी कार्यवाही और तकनीकी खामियों को पूरा करने में एक दशक का समय लग गया। जर्मनी के कई संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि यह सुरंग पर्यावरण के नियमों के विपरीत है। नवंबर 2020 में जर्मनी की एक कोर्ट ने इन सभी आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया। डेनमार्क की तरफ से एक अस्‍थायी बंदरगाह का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद कई और चरणों का काम जारी है। कई सुरंग सेक्‍शंस का निर्माण होगा और हर सेक्‍शन करीब 217 मीटर लंबा, 42 मीटर चौड़ा और नौ मीटर ऊंचा होगा। हर सेक्‍शन का वजन 73,000 मीट्रिक टन होगा यानी 13000 हाथियों के वजन से भी ज्‍यादा भारी। इस प्रोजेक्‍ट में 2500 लोग शामिल हैं।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/world/science-news/europe-news-in-hindi-longest-railway-tunnel-by-germany-and-denmark-under-baltic-sea/articleshow/94334238.cms
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();