अब समुद्र के नीचे युद्ध की तैयारी में चीन, दक्षिण चीन सागर में तैनात होगी पहली ड्रोन पनडुब्बी
बीजिंग: में, जहां पर चीन का अमेरिका समेत कई देशों का टकराव है, वहां पर ड्रोन पनडुब्बी तैनात करने के बाद तनाव और बढ़ सकता है। सैटेलाइट की तरफ से मिली तस्वीरों से इसी तरफ इशारा मिलता है। अभी तक इस पनडुब्बी को लेकर चीन के इरादों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन विशेषज्ञ इस बात के कयास लगाने लगे हैं कि इस पनडुब्बी का प्रयोग चीन कैसे करेगा। इस ड्रोन पनडुब्बी की खबर ऐसे समय में आई है जब चीन का ताइवान और अमेरिका के साथ तनाव जारी है। सामने आईं सैटेलाइट तस्वीरें नेवल न्यूज की तरफ से इस महीने कुछ सैटेलाइट तस्वीरें जारी की गई थीं। इन तस्वीरों में नजर आ रहा था कि चीन की दो विशालकाय बिना क्रू वाली पनडुब्बियां (XLUUV) हैनान द्वीप के सनाया नौसैनिक बेस पर मौजूद हैं। यह जगह उसी दक्षिणी चीन सागर पर है जहां पर कई देश अपने-अपने दावे करते हैं। रिपोर्ट में बताया गया था कि दोनों पनडुब्बियां मार्च-अप्रैल 2021 से ही यहां पर मौजूद हैं लेकिन नजर अभी आई हैं। इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि दोनों पनडुब्बियां को उसी इलाके के करीब देखा गया है जहां पर चीन पहले अपनी एकदम छोटी पनडुब्बियों को रखता था। इसी बात से अंदाजा लगाया गया था कि या तो इनके ट्रायल्स शुरू हो रहे हैं या फिर इन्हें टेस्ट किया जा रहा है। अमेरिका से आगे निकला चीन रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो पहली XLUUV करीब 16 मीटर लंबी और दो मीटर तक फैली है। बताया जा रहा है कि यह पनडुब्बी HSU-001 के जैसी है जिसे पहली बार साल 2019 में सबके सामने लाया गया था। HSU-001 LDUUV के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह पनडुब्बी इतनी सक्षम है कि छोटे यूएवी, सेंसर्स और नौसैनिक माइन्स को लेकर जा सकती है। साथ ही इसे मुख्य तौर पर इंटेलीजेंस, सर्विलांस और रेकी के मकसद के लिए डिजाइन किया गया है। साइज में HSU-001 LDUUV से दोगुनी है। साथ ही इसके कई फीचर्स ऐसे हैं जो अमेरिकी नौसेना की बोइंग ओरका XLUUV से मिलते जुलते हैं। इसके अलावा चीन के पास XLUUV पनडुब्बी साल 2021 से ही पानी में हैं। वहीं अमेरिका ने ओरका को इसी साल अप्रैल में नौसेना को सौंपा है। कहा जा रहा है कि चीन ने इस तकनीक में बाजी मार ली है। बिना हथियार लड़ेगा जंग XLUUV को नौसेना में शामिल करना यही बताता है कि चीन समंदर के नीचे बिना हथियारों की जंग में तेजी लाना चाहता है। दक्षिण चीन सागर उसके लिए एक बेहतरीन जगह साबित होगा। यहां पर XLUUV को तैनात करके वह बाकी देशों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाल सकेगा। इस पनडुब्बी की खासियतों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं लग पाया है। कहा जा रहा है कि यह बाकी नौसैनिकों जहाजों के लिए बड़ा खतरा हो सकती है। चीन इस पनडुब्बी की मदद से बैथिमीट्रिक मैपिंग यानी समुद्र की गहराई का पता लगा सकता है। साथ ही यह काफी समय तक पानी में रह सकती है।
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