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अपने नागरिकों को बचाने के लिए बलूचिस्‍तान से मिन्‍नतें कर रहा चीन, पाकिस्‍तान की नाक के नीचे बना रहा रणनीति

बीजिंग: पिछले दिनों पाकिस्‍तान में एक बार फिर चीन के नागरिकों को निशाना बनाया गया। कराची के सदर बाजार स्थित एक डेंटल क्‍लीनिक के बाहर हुए हमले में 32 साल के चीनी डॉक्‍टर रोनाल्‍ड छोहू की मौत हो गई। वहीं 74 साल के रिचर्ड छोहू और उनकी पत्‍नी 72 साल की मारग्रेट हू इसमें घायल हो गए। पुलिस की मानें तो ये लोग काफी सालों से पाकिस्‍तान में रह रहे थे और सॉफ्ट टारगेट थे। इस बात की जांच जारी है कि इनके पास चीनी नागरिकता थी या नहीं क्‍योंकि चीन दोहरी नागरिकता को मंजूरी नहीं देता है। पहले भी हुए हमले यह पहला मौका नहीं था जब इस तरह से चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया। इससे पहले भी चीन के नागरिकों पर हमले हुए हैं। इसी साल अप्रैल में कराची यूनिवर्सिटी में हुए बम धमाके में तीन चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले की जिम्‍मेदारी बलोच लिब्रेशन आर्मी (BLA) ने ली थी। कराची में जो नया हमला हुआ उसकी जिम्‍मेदारी नए संगठन सिंधुदेश पीपुल्‍स आर्मी (SPA) ने ली है। इस संगठन के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन इस हमले ने चीन की चिंताओं को बढ़ा दिया है। रोज रच रहे साजिश कराची के जर्नलिस्‍ट जिया उर-रहमान की मानें तो सिंधुदेश उन आतंकियों से जुड़ा हो सकता है जिन्‍होंने पूर्व में चीनी नागरिकों पर हमले किए हैं। नवंबर 2018 में कराची में चीनी कांसुलेट पर हमला हुआ था। इसके बाद जून 2020 में भी कराची स्‍टॉक एक्‍सचेंज पर हमला हुआ और इन दोनों हमलों की जिम्‍मेदारी बीएलए ने ली थी। कराची स्‍टॉक एक्‍सचेंज में चीन ने जमकर निवेश किया है। उस हमले में तीन सुरक्षाकमी और एक पुलिस इंस्‍पेक्‍टर की मौत हो गई थी। विशेषज्ञों की मानें तो बलूच‍िस्‍तान में आतंकी मजबूत होते जा रहे हैं और पाकिस्‍तान के खिलाफ रोज नई साजिश रच रहे हैं। चुन-चुनकर हमले कराची और दक्षिणी-पश्चिमी बलूचिस्‍तान में बलूच और सिंध अलगाववादियों ने कराची में चुन-चुनकर चीनी नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। अलगाववादियों की मानें तो चीन बलूचिस्‍तान और सिंध में बड़े स्‍तर पर एक के बाद एक प्राकृतिक संसाधानों को हथियाने में लगा हुआ है। सिंधुदेश पीपुल्‍स आर्मी की तरफ से आए बयान में भी इसी तरह की बातें कही गई हैं। आतंकी संगठन ने कहा, 'हम चीन को चेतावनी देते हैं कि वह हमारी मातृभूति पर प्रोजेक्‍ट्स को बंद करे और तुरंत यहां से निकल जाए।' क्‍यों कराची में होते हैं हमले पाकिस्‍तान अथॉरिटीज की तरफ से चीन को गई बार भरोसा दिलाया गया है कि चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (CPEC) में लगे चीनी नागरिकों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी। साल 2015 में चीन ने 62 अरब डॉलर के साथ पाकिस्‍तान में कई प्रोजेक्‍ट्स सीपीईसी के तहत लॉन्‍च किए थे। पाकिस्‍तान की तरफ से दिए गए भरोसे के बाद भी चीनी एजेंसियों और नागरिकों में डर की स्थिति है। कराची में अक्‍सर ही चीनी नागरिकों पर हमले होते हैं क्‍योंकि यह जगह पाकिस्‍तान के व्‍यापार, निवेश और आर्थिक गतिविधियों का गढ़ है। इसके अलावा इसकी भौगोलिक स्थिति भी काफी महत्‍वपूर्ण है। यही वजह है कि यहां पर सबसे ज्‍यादा चीनी नागरिक हैं और वो आतंकियों को आसान टारगेट हैं। पाकिस्‍तान का भरोसा बेकार पाकिस्‍तान की तरफ से दी गई सुरक्षा ऐसा लगता है कि अब कम प्रभावी होती जा रही है। चीन पहले ही कराची और क्‍वेटा में उसके दूतावास पर हमले की नाकाम साजिशों को लेकर चिंता जता चुका है। नौ जुलाई को जब दासू में जो हमला हुआ था उसमें 9 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। यह हमला चीन के लिए एक बड़ा झटका था। चीन ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हाल ही में बलूचिस्‍तान के कुछ सांसदों को अपनी परेशानियों के बारे में बताया है। अगस्‍त में पाकिस्‍तान में चीनी राजदूत नॉन्‍ग रोन्‍ग ने इस्‍लामाबाद में बलूचिस्‍तान के राजनेताओं के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग में बलूच नागरिकों के मसले पर चर्चा हुई थी। नोन्‍ग ने इसके अलावा इसी महीने में कई बलूच नेताओं के लिए डिनर का आयोजन भी किया था। बलूच नेताओं से मीटिंग मीटिंग के बाद एक बलूच नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि अब चीन को बलूचिस्‍तान में जारी संघर्ष की संवेदनशीलता के बारे में पता चला है। उन्‍होंने कहा कि चीनी राजदूत को यह अहसास हो गया है कि वह अकेले बलूचिस्‍तान का मसला सुलझा नहीं सकते हैं। इस वजह से ही चीन अब सीधे बलूचिस्‍तान के लोगों से बात करने में लगा है ताकि सीपीईसी पर कोई मुश्किल न आए। बलूचिस्‍तान प्रांत की ग्‍वादर सिटी में चीन का बंदरगाह है। यहां पर बाढ़ पीड़‍ितों के लिए चंदा भी जुटाया गया। इतना ही नहीं 30 सितंबर को चीन के राजदूत ने बलूचिस्‍तान के छात्रों के लिए कई तरह की स्‍कॉलरशिप्स का भी ऐलान किया था। दूसरे देशों में भी संपर्क बलूचिस्‍तान को सीपीईसी का मुख्‍य द्वार कहा जाता है। साल 2000 से यहां पर हिंसा बेलगाम हो चुकी है। बीएलए की तरफ से कई बार कहा जा चुका है कि वह ग्‍वादर बंदरगाह से लेकर पाकिस्‍तान में दूसरी जगहों पर मौजूद चीनी नागरिकों को निशाना बनाता रहेगा। साल 2018 में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन उन बलूच नेताओं से बात कर रहा है जो पश्चिमी देशों में रह रहे हैं और दो दशकों से बलूचिस्‍तान में जारी आतंकवाद को खत्‍म करने की कोशिशों में लगे हैं।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/world/pakistan/china-pakistan-news-in-hindi-increasing-attacks-on-chinese-national-in-pakistan-china-want-help-from-balochistan/articleshow/94586402.cms
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