82 की उम्र में बढ़ेगी शरद पवार की मुश्किल! लवासा मामले में क्रिमिनल PIL फाइल, CBI जांच की मांग
मुंबई: पुणे के पास लवासा मामले को लेकर लगातार शरद पवार (Sharad Pawar) विपक्षी दलों के निशाने पर रहे हैं। महाराष्ट्र (Maharashtra) में जहां एक तरफ (Sharad Pawar) का नागपुर विधानसभा में अधिवेशन शुरू है। वहीं दूसरी तरफ लवासा () मामले में शरद पवार के खिलाफ क्रिमिनल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुणे (Pune) के पास मुलशी तहसील में मौजूद लवासा हिल स्टेशन प्रोजेक्ट में पारदर्शिता की काफी कमी थी। साथ ही इसमें शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का निजी स्वार्थ था। याचिका के मुताबिक यह परियोजना पूरी तरह से कमर्शियल थी। बावजूद इसके महाराष्ट्र कृष्णा खोरे विकास निगम (MKVDC) की सार्वजनिक जमीन को कौड़ियों के दाम पर तीस साल की लीज पर दिया गया। इतना ही नहीं इस परियोजना के नाम पर कई अवैध काम भी किए गए। अब इस क्रिमिनल पीआईएल के जरिए याचिकाकर्ता ने मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि महाराष्ट्र पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकेगी। इसलिए सीबीआई से जांच करवाने की अपील की गई है। इस क्रिमिनल पीआईएल के नए साल में सुनवाई के आसार हैं। यदि अदालत ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिए तो 82 साल की उम्र में शरद पवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। याचिका दायर करने वाले कौन? शरद पवार और उनके परिवार के खिलाफ याचिका दायर करने वाले व्यक्ति नानासाहेब जाधव हैं। जो महाराष्ट्र के नासिक जिले में रहते हैं। जाधव ने इसके पहले भी लवासा परियोजना के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी। यादव के अनुसार नए साल में उनकी याचिका पर सुनवाई संभव है। उन्होंने कहा कि क्रिमिनल पीआईएल में जल्द सुनवाई होती है और अदालत यह तय करेगी कि इस मामले में सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए या फिर नहीं। जांच के दायरे में कौन-कौन? नानासाहेब जाधव ने अपनी याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट से अपील की है कि इस मामले में शरद पवार, सुप्रिया सुले, सदानंद सुले, अजित पवार, लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड के अजीत गुलाबचंद, तत्कालीन अवर सचिव एएच नाइक, एमकेवीडीसी के तत्कालीन कार्यकारी इंजीनियर अर्जुन मस्तूद, तत्कालीन विकास डेवलपमेंट कमिश्नर उद्योग भगवान सहाय लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड पुणे के तत्कालीन कलेक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। जाधव की मानें तो उन्होंने उन्होंने इसके पहले 26 दिसंबर 2018 को भी पुणे के पुलिस कमिश्नर के पास इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कंप्लेंट की थी। हालांकि, पुणे पुलिस के कमिश्नर और पुणे ग्रामीण की पुलिस ने मामले को सिर्फ एक-दूसरे पर डालने का काम किया। जाधव ने अपनी शिकायत में यह बताया है कि इस मामले को लेकर कैग की रिपोर्ट में भी अहम खुलासा हुआ है। जिसके मुताबिक लवासा परियोजना की वजह से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का भारी नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस मसले पर गंभीर टिप्पणियां की थीं। क्या है लवासा परियोजना? लवासा प्रोजेक्ट पुणे से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर पश्चिमी घाट की खूबसूरत वादियों में बन रही पहली सुनियोजित हिल सिटी है। दावा यह भी है कि बनने के बाद यह शहर नैनीताल, शिमला, दार्जिलिंग और मसूरी जैसे हिल स्टेशनों की खूबसूरती को भी पीछे छोड़ देगा। दावा इस बात का भी है कि यह प्रोजेक्ट कंप्लीट होने के बाद इसे भारत का स्वीटजरलैंड कहा जाएगा। लवासा प्रोजेक्ट 100 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है और इसको बनाने में तकरीबन 50 अरब रुपये खर्च होंगे। इस हिल स्टेशन में पांच आलीशान फाइव स्टार होटल बनेंगे। ऑक्सफोर्ड जैसी जानी-मानी यूनिवर्सिटी का भी एक सेंटर यहां बनाए जाने की बात कही गई है। वहीं इस सिटी में मॉल, बाजार, थिएटर और झील बिल्कुल स्वीटजरलैंड की तर्ज पर तैयार किए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का काम साल 2010 में शुरू किया गया था।
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