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सावधान रहें! भारत में आने वाली है कोरोना की चौथी लहर, जानिए क्या कहता है कोविड का ट्रेंड

नई दिल्ली: चीन, जापान के साथ अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में जिस तरह से कोविड के मामले तेजी से बढ़े हैं, उसे देखते हुए भारत के लिए जनवरी का महीना काफी अहम होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 30 से 40 दिनों तक लोगों को बहुत सतर्कता बरतनी होगी। मास्क पहनने समेत कोविड से बचाव के सभी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। कोविड की पिछली लहरों का ट्रेंड देखें तो चीन, जापान, कोरिया में केस बढ़ने के 10 दिन बाद यूरोप और उसके बाद अमेरिका, लैटिन अमेरिका के देशों में केस बढ़ते हैं। फिर भारत में भी मामलों में इजाफा होता है। अगर इस बार भी ऐसा ही ट्रेंड रहा तो जनवरी में देश में कोरोना के केस बढ़ सकते हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की दर कम ही रहेगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं की जांच की जा रही है

विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट से बचाव के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार और वैक्सिनेशन अपनाना चाहिए। डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कुछ महीनों से ये वेरिएंट भारत में मौजूद है। लेकिन हमें सभी तरह की स्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। यही कारण है कि स्वास्थ्य मंत्रालय कोविड से जंग की सभी तैयारियों को पुख्ता कर रहा है। अस्पताल में बेड से लेकर वेंटिलेटर, मेडिकल ऑक्सिजन समेत हर पहलू को जांचा जा रहा है। बूस्टर डोज की मांग बढ़ीडर कहें या सरकार की अपील का असर, बूस्टर डोज लगवाने वाले और राज्यों में इसकी मांग भी तेजी से बढ़ी है। इस साल 19 दिसंबर से तुलना करें तो 10 दिन में तीसरी डोज लगवाने वाले तीन गुना बढ़े हैं। उत्तराखंड समेत कई राज्यों में बूस्टर डोज की डिमांड तेजी से बढ़ी है और इन राज्यों ने केंद्र से और वैक्सीन मांगी है। मंत्रालय इन राज्यों को वैक्सीन मुहैया करवा रहा है। नेज़ल वैक्सीन 26 जनवरी के बाद मिलनी शुरू हो जाएगी। 96% तक सफल रही मॉक ड्रिलकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को देशभर के 20,021 अस्पतालों में कोविड की तैयारियों को जांचा। इनमें 15,424 सरकारी और 4,597 प्राइवेट अस्पताल थे। मॉक ड्रिल में सामने आया कि देश में कोविड से निपटने के लिए जरूरी इंतजाम पर्याप्त हैं। डॉक्टरों, इलाज के लिए जरूरी उपकरणों और दवाओं की कोई कमी नहीं है। वहीं, 88 से 96% तक मेडिकल इक्विपमेंट्स काम करते मिले। इस ड्रिल में 2.16 लाख से ज्यादा डॉक्टरों, 3.87 लाख नर्सों, 1.93 लाख पैरामेडिकल स्टाफ और 17,791 आयुष प्रैक्टिशनरों ने हिस्सा लिया। मंत्रालय ने कहा कि कोविड के इलाज में काम आने वाली दवाओं की कमी नहीं है। पैरासिटामोल, एजिथ्रोमाइसीन और डॉक्सीसाइक्लीन समेत हर तरह की दवाओं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। अस्पतालों में लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी हैं।
  • 12,656 PSA यानी ऑक्सिजन प्लांट में 93% चालू थे।
  • 70,996 वेंटिलेटरों को जांचा गया, इनमें 88% सही मिले।
  • 2,37,003 कंसन्ट्रेटर में से 96% बिल्कुल ठीक मिले।
  • 6,63,547 ऑक्सिजन सिलिंडरों में 94% फंक्शनल मिले।
BF.7 वेरिएंट पर हो रही स्टडी, जांच रहे टीके और दवा का असरचीन में कहर बरपा रहे ओमिक्रॉन के BF.7 वेरिएंट पर सरकार स्टडी करवा रही है। सूत्रों का कहना है कि भारत में ओमिक्रॉन के इस सब वेरिएंट के चार केस आ चुके हैं और इस वेरिएंट को अलग कर इस पर दवा और टीके के असर को देखा जा रहा है। देश की वैक्सीन ओमिक्रॉन के सभी सब वेरिएंट पर कारगर हैं और भारत में हाइब्रिड यानी टीके और बीमारी के बाद उपजी कुदरती इम्युनिटी भी है। फिर भी कोविड की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी की जानी चाहिए और उसी दिशा में देश आगे बढ़ रहा है। एयरपोर्ट पर जो पॉजिटिव केस आए हैं, उनके सैंपल जीनोम जांच के लिए भेजे गए हैं। इस जांच के बाद सामने आएगा कि BF.7 वेरिएंट का भारत पर कितना असर है। दरअसल इस वेरिएंट की R-वैल्यू 10 से 18.6 तक है। इसका मतलब है कि ओमिक्रॉन के इस वैरिएंट से संक्रमित मरीज 10 से 18-19 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है।


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