आज से 3 लाख साल पहले क्या पहनते थे इंसान? खतरनाक भालू से जुड़ी है दुनिया के शुरुआती कपड़ों की कहानी
बर्लिन : जर्मनी में पुरातत्वविदों ने कपड़ों के इस्तेमाल के कुछ शुरुआती सबूतों को उजागर किया है। गुफा में रहने वाले भालू के पंजे पर खोजे गए कट के नए निशान से पता चलता है कि लगभग 3,00,000 साल पहले प्रागैतिहासिक जानवरों की खाल उनके फर के लिए उतारी गई थी। उत्तरी जर्मनी के शॉनिंगन में यह खोज बेहद रोमांचक है क्योंकि बहुत कम लोग जानते हैं कि शुरुआती इंसानों ने अपने शरीर को कैसे ढका और कठोर सर्दियों में किस तरह जीवित रहे थे। सीएनएन की खबर के अनुसार फर, चमड़ा और अन्य कार्बनिक पदार्थ आमतौर पर 1,00,000 साल से ज्यादा संरक्षित नहीं रह सकते। इसका मतलब है कि प्रागैतिहासिक कपड़ों के प्रत्यक्ष सबूत बहुत कम हैं। अक्सर तस्वीरों में गुफा मानव को जानवरों की खाल या फर से बने कपड़े पहने दिखाया जाता है। यह अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इस बारे में अपेक्षाकृत कम जानते हैं कि प्राचीन काल में इंसान क्या पहनता था और खुद को मौसम की मार से कैसे बचाता था।
25000 साल पहले विलुप्त हो गया केव बियर
जर्मनी की तुबिंगेन यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट के छात्र और अध्ययन के लेखक इवो वेरहेजेन ने कहा, 'शुरुआती समय की सिर्फ कुछ साइटें ही भालू की खाल उतारे जाने के सबूत दिखाती हैं जिनमें शॉनिंगेन सबसे महत्वपूर्ण है।' गुफा में रहने वाले भालू (Cave Bears) बड़े जानवर थे जिनका आकार ध्रुवीय भालू (Polar Bear) के बराबर था। वे करीब 25,000 साल पहले विलुप्त हो गए थे। गुफा में रहने वाले भालू के 'कोट' पर लंबे बाल होते थे जो हवा से बचाने वाली एक परत का निर्माण करते थे।भालू के कोट से बनाते थे कपड़ो और बिस्तर
जर्नल ऑफ ह्यूमन इवोल्यूशन में 23 दिसंबर को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार यह कोट अच्छा इन्सुलेशन प्रदान करता था और साधारण कपड़े या बिस्तर बनाने के लिए सबसे उपयुक्त था। कपड़ों में संभवतः खाल शामिल होती थी जो सिलाई के बिना शरीर के चारों ओर लपेटी जाती थी। कपड़ों को सिलने में इस्तेमाल होने वाली सुई पुरातात्विक रिकॉर्ड में करीब 45,000 साल पहले तक नहीं पाई जाती है। शोधकर्ताओं के लिए यह पता लगाना चुनौतीपूर्ण है कि कपड़ों का इस्तेमाल कब शुरू हुआ था।from https://navbharattimes.indiatimes.com/world/science-news/know-all-about-prehistoric-clothes-stone-age-humans-wear-cave-bear-fur-clothes/articleshow/96768601.cms