पाटिल का अगर प्रमोशन हुआ तो फिर कौन बनेगा नया 'चीफ', जानिए अब तक कौन-कौन बना अध्यक्ष
अहमदाबाद: गुजरात चुनावों में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद यह तय है कि पार्टी सी आर पाटिल को प्रमोट करेगी। संगठन या फिर सरकार में लिया जाएगा। अगर मंत्री बनते हैं तो निश्चित तौर पर उन्होंने चुनाव वालों राज्यों का प्रभार मिल सकता है। अगर ऐसा संभव नहीं हुआ तो संगठन में उन्हें बड़ा टास्क दिया जाएगा। अगर पाटिल गुजरात छोड़ते हैं तो फिर गुजरात में उनकी जगह कौन लेगा? ये ऐसे सवाल हैं जिनकों को लेकर गुजरात की राजनीति में खूब चर्चा हो रही है, लेकिन खुले तौर पर कोई नहीं बोल रहा है। सभी की नजरें अब 16-17 जनवरी को दिल्ली में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर टिकी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री परिषद् में फेरबदल हो सकता है। इसमें गुजरात में मंत्रियों की संख्या में बदलाव मुमकिन है। पाटिल के भी केंद्रीय मंत्री बनने की अटकलें हैं। गुजरात में अभी तक बीजेपी के आठ नेता प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, जबकि छह नेताओं को सीएम बनने का मौका मिला है। इन नामों की चर्चा पार्टी के बीच चर्चा है कि अगर सी आर पाटिल मंत्री या फिर राष्ट्रीय महासचिव बनते हैं तो पार्टी राज्य में किसी क्षत्रिय, ओबीसी वर्ग से किसी को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। इसमें प्रदीप सिंह जाडेजा का नाम भी लिया जा रहा है। यह भी चर्चा है कि प्रदीप सिंह जाडेजा का कमान नहीं मिली तो किसी ओबीसी नेता को संगठन की बागडोर सौंपी जा सकती है। सी आर पाटिल 20, जुलाई 2020 को गुजरात इकाई के प्रमुख बने थे। उन्होंने तब जीतू वाघाणी की जगह ली थी। अभी तक कौन-कौन बना अध्यक्ष? गुजरात में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अभी तक सिर्फ आठ लोगों ने संभाली हैं। इनमें ए के पटेल, काशीराम राणा, वजुभाई वाला, राजेन्द्र सिंह राणा, परसोत्तम रुपाला, आर सी फालदु, विजय रुपाणी, जीतू वाघाणी के साथ सीआर पाटिल का नाम शामिल है। इसमें सबसे लंबा कार्यकला राजेंद्र सिंह राणा का रहा। राणा प्रदेश बीजेपी के 7 साल तक चीफ रहे। तो वहीं सबसे कम समय के लिए प्रदेश संगठन की कमान विजय रुपाणी ने संभाली। रुपाणी 173 दिन ही संगठन के प्रमुख रहे। बीजेपी ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनावों में जब से रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की है, तभी से पाटिल के प्रमोशन मिलने की चर्चा हो रही है। पहले अध्यक्ष फिर बने सीएम में रुपाणी एकमात्र नेता हैं जो पहले प्रदेश अध्यक्ष बने और फिर मुख्यमंत्री रहें। दो बार मुख्यमंत्री बनने का मौका हासिल हुआ। बाकी अब तक गुजरात में बीजेपी के जितने भी प्रदेश अध्यक्ष बने उनमें से किसी और को मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला।
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