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सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण नहीं कर सकते धार्मिक स्थल... जानिए दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

नई दिल्ली: ने एक फुटपाथ से लगे दो धार्मिक परिसरों के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने की अनुमति देते हुए कहा कि उपासना स्थल सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण नहीं कर सकते। अदालत ने आगे कहा कि ये स्थल लोगों के एक बड़े हिस्से के लिए की जाने वाली विकास गतिविधियों को बाधित नहीं कर सकते। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने कहा कि दो धार्मिक परिसरों के सामने स्थित फुटपाथ की चौड़ाई पैदल यात्रियों के लिए अपर्याप्त है, जो छह मीटर चौड़ी होनी चाहिए थी।मथुरा रोड पर लिंक हाउस के सामने झील का प्याऊ में स्थित सनातन धर्म मंदिर/प्राचीन शिव मंदिर के संरक्षकों ने कथित अतिक्रमण के खिलाफ पीडब्ल्यूडी द्वारा अक्टूबर 2022 में जारी एक पत्र के विरूद्ध पिछले साल उच्च न्यायालय का रुख किया था। मंदिर के बगल में एक मस्जिद के भी होने की अदालत को सूचना दिये जाने के बाद, दिल्ली वक्फ बोर्ड को भी याचिका में एक पक्षकार बनाया गया था। अदालत ने कहा कि चूंकि मंदिर और मस्जिद, दोनों की दीवारें फुटपाथ को बाधित करती हैं, ऐसे में इन दीवारों को ध्वस्त किया जाए और फुटपाथ को एकसमान किया जाए।न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘अदालत का यह मानना है कि व्यापक जनहित दोनों उपासना स्थलों, मंदिर और मस्जिद, द्वारा जताई गई चिंता से अधिक महत्वपूर्ण होगा। ’ उन्होंने कहा, ‘इस अदालत का मानना है कि पीडब्ल्यूडी को फुटपाथ को एकसमान करने के लिए अनुमति दी जाए। इस उद्देश्य के लिए यदि मंदिर/मस्जिद का कुछ हिस्सा तोड़ना/ध्वस्त करना पड़ेगा, तो अदालत इसकी अनुमति देगी।’


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