हैड़ाखान बाबा... उत्तराखंड के रहस्यमय योगी जिन्होंने शम्मी कपूर को बना दिया 'महात्मा जी'
नैनीताल: उत्तराखंड () में जून 1970 की एक सुबह को एक युवा संन्यासी गंगा किनारे बसे गांव हैड़ाखान की एक पथरीली गुफा में दिखाई दिया। उसकी उम्र मुश्किल से 27-28 साल की लग रही थी लेकिन उसके चेहरे का तेज लोगों को अपनी ओर खींच रहा था। सितंबर में यह संन्यासी जब समाधि में बैठा तो 45 दिन बाद उठा। उसका नाम किसी को पता नहीं था। लोग उसे हैड़ाखान बाबा () कहने लगे, बहुतों ने उसे महावतार बाबा का नाम दिया। उनका मानना था कि यह वही 'महावतार बाबा' हैं जो युगों से हिमालय में निवास कर रहे हैं। हैरानी की बात थी कि उसी क्षेत्र में 1860 से 1922 के बीच एक और हैड़ाखान बाबा हुए थे। साल 1971 के सितंबर महीने में इस युवा साधु ने कोर्ट में पहुंचकर दावा किया कि वह हैड़ाखान बाबा है और नए शरीर में फिर से वापस आया है। उसने अदालत में कुछ ऐसे सबूत पेश किए जिन्होंने यह बात साबित कर दी कि वही हैड़ाखान बाबा हैं। युवा हैड़ाखान बाबा की प्रसिद्धि तेजी से बढ़ने लगी। वह लोगों के बीच सर्वधर्म समभाव का संदेश देने लगे। वह कहते कि सभी धर्म एक ही जगह पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हैं। साल 1974 में मशहूर फिल्म अभिनेता के परिवार ने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया। शम्मी कपूर को इन सभी बातों में कोई रुचि नहीं थी। लेकिन फिल्मों की शूटिंग में बिजी थे लेकिन परिवार के जोर देने पर दूर कोने में बैठकर हैड़ाखान बाबा की फोटो खींचने लगे। अचानक उन्हें लगा कि बाबा उन्हें ही देख रहे हैं। शम्मी कपूर के लिए यह अनोखा अनुभव था।
पहली बार नाम दिया 'महात्मा जी'
इस पहली मुलाकात ने शम्मी कपूर में अंदर ही अंदर बहुत कुछ बदल दिया। वह एक बार फिर बाबा के नैनीताल स्थित आश्रम पहुंचे। शम्मी पूरे लाव लश्कर के साथ गए थे। उन्हें स्कॉच पीने का शौक था, डांस करने और मीट खाने का शौक था। उन्हें लग रहा था कि आश्रम में वह कैसे रह पाएंगे। वहां पहुंचने पर बाबा ने उन्हें हंसकर आ गए 'महात्मा जी'।अध्यात्म में डूब गए थे शम्मी
शम्मी कपूर को यह सुनकर अजीब सी शांति मिली। धीरे-धीरे उनसे उनका शराब पीने का शौक और दूसरी आदतें अपने आप छूट गईं और वह गहरे ध्यान में जाने लगे। इसके बाद अपने अंतिम समय तक शम्मी कपूर अध्यात्म में डूबे रहे। उन्होंने एक वेबसाइट भी बनाई जो हैड़ाखान बाबा को समर्पित थी।भविष्य के लिए दी थी चेतावनी
हैड़ाखान बाबा ने साल 1984 में देहत्याग कर दिया। उनका मानवता के लिए एक ही संदेश था, एक दूसरे से प्रेम करो, सभी धर्मों का सम्मान करो। उन्हें श्रद्धालुओं को चेतावनी दी थी कि वे 'महाक्रांति' के लिए तैयार रहें। इस महाक्रांति की चर्चा में वह कहते थे, भूकंप आएंगे, बाढ़ आएंगी, हादसे होंगे, युद्ध होंगे इसलिए आने वाले समय के लिए साहस और प्रेम बटोर कर रखो। केवल सत्य का मार्ग ही मानवता को बचा सकता है।'from https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttarakhand/nainital/haidakhan-babaji-met-shammi-kapoor-naintal-ashram-latest-news-update/articleshow/97779797.cms