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गहलोत गुट के नेताओं पर कार्रवाई ना होने से नाराज सचिन पायलट , राजस्थान पर जल्द फैसले की मांग

नई दिल्ली/जयपुर : राजस्थान में पिछले साल सितंबर में मचे सियासी घमासान को सचिन पायलट ने फिर हवा दे दी है। बुधवार को पायलट ने फिर से गहलोत गुट के नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेकर प्रदेश के कुछ नेताओं ने अनुशासहीनता की। तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की ‘अहवेलना करने वाले’ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में ‘अत्यधिक विलंब’ हो रहा है। पायलट ने आगे कहा कि अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा।पायलट ने इस अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को जमकर घेरा। चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि पालयट ने जल्द इस मामले में फैसला आने की बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में इतनी देर क्यों हो रही है।पायलट ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में 25 सितंबर 2022 को हुए घटनाक्रम पर खुल कर विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई।’उन्होंने कहा कि जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे । उन्हें ‘प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता’ के लिए नोटिस दिए गए थे।

अनुशासनात्मक कमेटी दे सकती है जवाब

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुझे मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतना ज्यादा विलंब क्यों हो रहा है।’’

विधानसभा में उठे सवाल का भी दिया जवाब

पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। उनके अनुसार, हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे। शेष को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि ‘वे अपनी मर्जी’ से नहीं दिए गए थे। उन्होंने कहा कि यह एक कारण था जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए।

पायलट बोले- हमारी फोकस चुनाव पर

पायलट ने इस बात पर जोर दिया, ‘ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था...यह एक ऐसा विषय है जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है।’ राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, बजट भी पेश हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है वो होना चाहिए क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है।’

कांग्रेस को मैदान पर उतरना होगा

उनके अनुसार, अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है। फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो जल्द फैसला करना होगा। पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा ताकि ‘हम लड़ाई के लिए तैयार रहें।’

बैठक ना होना पार्टी के निर्देश की अहवेलना - पायलट

उन्होंने कहा, ‘विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी। ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अहवेलना थी।’ गौरतलब है कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक और पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए गए थे। जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी।


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