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भारत को नई तोपें दिलाने की रफ्तार धीमी, सिर्फ 8 फीसदी आर्टिलरी गन ही हो पाईं अपडेट

नई दिल्ली: भारतीय सेना की मौजूदा तोपों (आर्टिलरी गन) को अत्याधुनिक तोपों से रिप्लेस करने का काम धीमी रफ्तार से चल रहा है और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने इस पर सवाल उठाए हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2022 तक सिर्फ 8 पर्सेंट आर्टिलरी गन ही सेना को मिल पाईं। सेना में आर्टिलरी मॉडर्नाइजेशन प्लान 1999 में बनाया गया था। साल 2027 तक 2,800 नई आर्टिलरी गन लेने की योजना बनाई गई थी।दो दशक से धीमी गति से चल रहा है कामसीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा आर्टिलरी गन को नई अत्याधुनिक गन से रिप्लेस करने का काम पिछले दो दशक से धीमी रफ्तार से चल रहा है। आर्टिलरी गन लेने और अपग्रेड करने के तीन प्रपोजल में से सिर्फ तीन पर ही कॉन्ट्रैक्ट हो पाया, जिससे कुल जरूरत की 17 पर्सेंट गन ही लेने की प्रक्रिया आगे बढ़ पाई। साथ ही गन लेने की प्रक्रिया अलग-अलग स्टेज में कई बार लेट भी हुई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गन लेने में देरी होने ने यह भी दिखाया है कि रक्षा मंत्रालय और सेना हेडक्वॉर्टर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्वॉलिटेटिव रिक्वायरमेंट यानी जो प्रॉडक्ट के पैरामीटर होते हैं, वह रियलिस्टिक हों।कौन-कौन सी नई तोपें हो रही शामिल?इस महीने की शुरुआत में रक्षा अधिग्रहण समिति ने भारतीय सेना के तोपखाने के मॉडर्नाइजेशन के लिए 155 एमएम कैलिबर की अडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद की जरूरत को मंजूरी दी है। K9 वज्र सेना के तोपखाने में शामिल पहली सेल्फ प्रॉपेल्ड गन है। यानी इसे ढोने के लिए किसी दूसरे वाहन की जरूरत नहीं पड़ती। यह खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है। सेना को अगले ढाई साल में 100 के-9 वज्र अतिरिक्त मिलेंगे। नए के-90 वज्र होंगे, वह हाईएल्टीट्यूट के हिसाब से एकदम मुफीद होंगे। अभी जो के-9 वज्र सेना के पास हैं, वह रेगिस्तान के इलाके को ध्यान में रखते हुए लिए गए थे। हालांकि इन्हें फिर एलएसी के पास भी तैनात किया गया। कोशिश की जा रही है कि आने वाले समय में सेना के तोपखाने में ज्यादातर मीडियम कैलिबर की गन हों यानी 130 से 155 एमएम कैलिबर की। अभी तोपखाने में इंडियन फील्ड गन (आईएफजी) और लाइट फील्ड गन (एलएफजी) भी हैं, जिनकी रेंज 17 किलोमीटर तक है और ये 105 एमएम कैलिबर की हैं। ये धीरे-धीरे फेज आउट होंगी और तोपखाने में 30 से 40 किलोमीटर रेंज की नई गन शामिल हो जाएंगी। न्यू जेनरेशन गन ज्यादा सटीक हैं। उनकी रेंज ज्यादा है। साथ ही वह बड़ा गोला दागती हैं जो ज्यादा घातक होता है।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/india/replacement-of-new-artillery-guns-progressing-at-slow-pace-cag-report/articleshow/99128607.cms
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