संपादकीय: लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं ओछे बयान, गरिमा का खयाल रखें नेता
सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस नेता को मानहानि का दोषी करार देते हुए दो साल जेल की सजा सुना दी। हालांकि उन्हें जमानत मिल गई है और अपील के लिए वक्त भी मिल गया है, इसलिए तत्काल जेल जाने की स्थिति नहीं है, लेकिन राहुल के बयानों को लेकर पहले से ही गरमाई राजनीति में यह फैसला उबाल का एक और बिंदु जरूर बन गया है। यह फैसला ऐसे समय आया है, जब लंदन में दिए गए राहुल गांधी के बयान संसद में गतिरोध का कारण बने हुए हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी विदेशी धरती पर दिए गए उन बयानों को देश का अपमान बताते हुए राहुल से माफी की मांग पर अड़ी हुई है। राहुल और कांग्रेस स्वाभाविक ही इससे इनकार कर रहे हैं। जहां तक सूरत कोर्ट से आए फैसले की बात है तो राहुल गांधी ने इसे स्वीकार नहीं किया है, वह इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। लेकिन फिर भी इस फैसले ने बीजेपी के तरकश में एक शक्तिशाली बाण तो डाल ही दिया है। बीजेपी नेता और कार्यकर्ता अब इस फैसले के हवाले से यह दावा कर सकते हैं कि राहुल गांधी के बयान अदालत की कसौटी पर भी खरे नहीं उतरते।पक्ष-विपक्ष की दलीलों से हटकर देखें तो राहुल के लिए यह सलाह अनुचित नहीं कही जाएगी कि वह अपने वाक्य को थोड़े बेहतर ढंग से फ्रेम कर सकते थे। विपक्षी खेमे के और कांग्रेस पार्टी के भी कई नेता निजी बातचीत में यह राय जताते रहे हैं कि राहुल गांधी राजनीतिक हमले करते हुए कुछ ज्यादा पर्सनल हो जाते हैं। फिर भी इस बारे में अभी से कोई नतीजा निकालना मुश्किल है कि इस पूरे विवाद का राहुल गांधी और कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान। भूलना नहीं चाहिए कि राहुल गांधी का संबंधित बयान 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान दिया गया था। चुनावी गरमागरमी में नेताओं के ऐसे बयान आते रहे हैं, जिन्हें विवादास्पद माना जाता है भले ही वे सारे मामले अदालत में नहीं पहुंचते। बीजेपी नेताओं के भी ऐसे कई बयान गिनाए जा सकते हैं। ऐसे में कहना मुश्किल है कि आम लोग इस फैसले को आखिरकार किस रूप में लेंगे। इसे राहुल गांधी की गैरजिम्मेदारी मानेंगे या सत्ता पक्ष की ओर से से उनकी आवाज दबाने के एक और प्रयास के रूप में देखेंगे। अगर आम धारणा दूसरे विकल्प की ओर मुड़ी तो नुकसान के बजाय कांग्रेस को फायदा ही पहुंचाएगी। यही आशंका तृणमूल नेता ममता बनर्जी को यह कहने को मजबूर कर रही है कि बीजेपी और सरकार राहुल को हीरो बनाने पर तुली हुई है। लेकिन इन संकीर्ण नफा-नुकसानों से अलग हटकर देखें तो ओछे बयान किसी भी तरफ से आएं लोकतंत्र की गरिमा को नुकसान ही पहुंचाते हैं। बेहतर होगा हमारे नेता इस तथ्य के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखें।
from https://navbharattimes.indiatimes.com/opinion/editorial/nbt-edit-23-march-2023-rahul-gandhi-convicted-in-defamation-case-by-surat-court/articleshow/98951121.cms