Latest Updates

रूस से भारत का शॉर्टकट बना रहे पुतिन, बर्फ से ढंके साइबेरिया से चल कर सीधे चेन्नई पहुंचेंगे जहाज

मॉस्को: यूक्रेन से युद्ध के बाद भी भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ा है। लेकिन अब दोनों देशों के बीच व्यापार का रूट बदल सकता है। रूस की इंटरफैक्स एजेंसी ने बुधवार को बताया कि दोनों देश आर्कटिक से गुजरने वाले उत्तरी शिपिंग मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां शिपिंग फैसिलिटी का भी निर्माण किया जा सकता है। सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास से जुड़े रूस के मंत्री एलेक्सी चेकुनकोव की भारत यात्रा के दौरान रूसी और भारतीय बंदरगाहों का उपयोग कर उत्तरी समुद्री मार्ग से माल का विश्वसनीय और सुरक्षित परिवहन बातचीत का प्रमुख मुद्दा रहा।न्यूज एजेंसी के मुताबिक चेकुनकोव ने कहा, 'व्लादिवोस्तोक से भारत में एक कंटेनर पहुंचाने की लागत मास्को से एक कंटेनर की शिपिंग की लागत से एक तिहाई कम है।' व्लादिवोस्तोक रूस के पूर्वी हिस्से में है, जो जापान सागर से जुड़ा है। वहीं मॉस्को यूरोप की तरफ पड़ता है। पिछले साल यूक्रेन पर हमले के बाद से ही भारत ने रूस की आलोचना नहीं की है। इसके अलावा वह दुनिया में चीन के बाद रूस से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश बना है।

सिर्फ गर्मियों में हो पाता है समुद्री मार्ग का इस्तेमाल

रूस उत्तरी समुद्र मार्ग को संचालित करना चाहता है जो उसकी उत्तरी तट रेखा से जुड़ा है। यह पूर्वी एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है। रूस इस जगह एक प्रमुख शिपिंग लेन बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रहा है। हालांकि ठंड में यहां मोटी-मोटी बर्फ की परत जम जाती है, जिसके कारण इस मार्ग का संचालन नहीं होता। लेकिन अब जिस हिसाब से धरती गर्म हो रही है, उसका सबसे ज्यादा फायदा रूस को होने वाला है। क्योंकि अब ठंड के महीनों में भी यहां बर्फ की पतली परत रहती है। रूस का प्लान है कि साल 2023 के अंत से इस रूट का इस्तेमाल पूरे साल हो। यहां से कंटेनर सीधे भारत के बंदरगाहों पर पहुंचें।

कैसा है समुद्री मार्ग

समुद्री मार्ग की बात कही जाए तो अगर अभी रूस से एशिया में कोई कंटेनर आना हो तो वह जिब्राल्टर की खाड़ी से होते हुए भूमध्य - सागर में आता है। यहां से स्वेज नहर के रास्ते अदन की खाड़ी होते हुए जहाज हिंद महासागर में आता है और फिर मलक्का स्ट्रेट के जरिए पूर्वी एशिया में पहुंचता है। यह रास्ता लगभग 21,000 किमी का है, जिसमें एक जहाज को 48 दिनों की यात्रा करनी पड़ती है। वहीं अगर उत्तरी मार्ग की बात की जाए तो एशिया में पहुंचने के लिए रूसी जहाजों को सिर्फ 12,800 किमी की यात्रा करनी होगी। यह यात्रा 35 दिनों की होगी। हालांकि अभी इस रूट में सबसे बड़ी समस्या बर्फ है। यहां से यात्रा सिर्फ दो से चार महीने तक हो पाती है। रूस के पास आइस ब्रेकर भी है, जिनके जरिए बर्फ तोड़ कर रास्ता बनाया जा सकता है।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/world/rest-of-europe/russia-northern-sea-route-through-which-travel-distance-will-be-reduced-know-full-detail-russia-india-trade-relation/articleshow/99110442.cms
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();