कौमी एकता की मिसाल! 3 पीढ़ियों से मां विंध्यवासिनी पर चढ़ रही मुुस्लिम परिवार की बनाई चुनरी, जानिए वजह
मिर्जापुर : उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर जिले में स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले चुनरी व चौका को मुस्लिम परिवार तीन पीढियों से बनाते आ रहे है। मां विंध्यवासिनी को मां मानकर आस्था व अटूट विश्वास के साथ मुस्लिम परिवार मां की सेवा में जुटा हुआ है। मिर्जापुर जिले में स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर में नवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।भक्त चुनरी व नारियल आदि प्रसाद लेकर मां के दरबार में मत्था टेकते है, जहां सुख और समृद्धि को लेकर कामना करते है। चुनरी बनाने के साथ मुस्लिम परिवार के प्रसाद व लाठियों की भी चलाते है और जीवकोपार्जन करते है। मुस्लिम परिवार द्वारा तैयार की गई चुनरी मां को अर्पित की जाती है। अष्टभुजा व कालीखोह में चढ़ाई जाती है चुनरी मिर्जापुर जिले में मां विंध्यवासिनी मंदिर से लगभग एक किलोमीटर पहले कंतित में इस्माइल शाह चिश्ती की मजार है। मजार के आस-पास मुस्लिम लोग रहते हैं। मुस्लिम परिवार तीन पीढ़ियों से चुनरी व चौका बनाते हुए आ रहे हैं। चुनरी व चौका (चौकोर नुमा रुमाल कपड़ा) बनाने का काम सबसे पहले रहीम ने शुरू किया था, जिसके बाद कई परिवार के लोग चुनरी में चौका बनाकर जीवकोपार्जन कर रहे हैं।मुस्लिम परिवार द्वारा बनाए जाने वाले चुनरी व चौका को मां विंध्यवासिनी धाम के साथ-साथ अष्टभुजा व कालीखोह में भक्त चढ़ाते है। चुनरी व चौका के साथ शादी में प्रयोग किए जाने वाले पिछौडी को भी बनाते हैं। पूरा परिवार शिद्दत के साथ मां की चुनरी को तैयार करता है, जहां मां के प्रति अपनी आस्था को भी प्रकट करता है।मुस्लिम परिवार के द्वारा वाहन खड़ा करने के लिए स्टैंड की भी व्यवस्था की जाती है। चुनरी तैयार करने वाली शबनम ने बताया कि कुछ महीने पहले से हम लोग चुनरी बनाने काम में जुट जाते है। वर्षों से इसे बनाने का काम करते आ रहे है। पुरुष चुनरी की सिलाई करते है और महिलाएं व बच्चे गोटा व सितारा आदि लगाती है। मुनाफा बेहद कम, विश्वास के लिए बनाते है चुनरी चुनरी बनाने वाले राजू ने बताया कि चुनरी व चौका बनाने में बेहद कम मुनाफा होता है। परंपरा व विश्वास को बनाने रखने के लिए चुनरी व चौका तैयार करते है। पूरा परिवार नफा और नुकसान को न देखकर दो महीने पहले से ही चुनरी व चौका बनाने के काम में जुट जाता है। पूरे दिन काम करने पर 100 से 150 रुपये का मुनाफा होता है। चौका बनाने पर प्रति सैकड़ा पर 30 से 40 रुपये के हिसाब से पैसे मिलते है। बड़ी चुनरी बनाने पर 10 रुपये प्रति दर से भुगतान होता है। आस्था व विश्वास को बनाये रखने के लिये इस काम को कर रहे है।
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