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यूपी में अफसर VS जनप्रतिनिधि : देवरिया डीएम दिव्या मित्तल के बयान पर भड़के MLA शलभ मणि त्रिपाठी क्या बोल गए

कौशल किशोर त्रिपाठी, देवरिया: देवरिया जिले में के चलते जिले का सियासी तापमान बढ़ गया है। दिशा की बैठक में डीएम दिव्या मित्तल द्वारा सरकारी जीओ के बहाने जनप्रतिनिधियों को उनकी हद बताने पर विधायक शलभ मणि ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। शलभ मणि ने कहा है कि हमें किसी अधिकारी से जानने की जरूरत नहीं है। हम वो पढ़ कर और समझकर आते हैं। अधिकारी अपना काम ठीक से करें और जनप्रतिनिधियों को अपना काम करने दें। अधिकारी यदि सब कुछ ढंग से करते तो जनप्रतिनिधियों के पास शिकायतकर्ताओं की भीड़ नहीं लगती। दिशा की बैठक में डीएम व जनप्रतिनिधियों के बीच हुई बहसबीते 3 जुलाई को देवरिया जिले में की अगुवाई दिशा की बैठक आयोजित थी। जिसमें सांसद, विधायक समेत अन्य सभी जनप्रतिनिधि और डीएम, एसपी समेत हर विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बरहज के विधायक दीपक मिश्रा ने करुअना मगहरा मार्ग का निर्माण शुरू न होने का मुद्दा उठाया और बेसिक शिक्षा अधिकारी से एक संविदा कर्मचारी का तबादला रोकने के लिए भी कहा। इस बात पर बीएसए शालिनी श्रीवास्तव ने तबादला रोकने में असमर्थता जताई और कहा कि तबादला रोकने के लिए मुझ पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। लोकतंत्र में अधिकारी बड़ा या जनप्रतिनिधि की चर्चा जोरों पर अधिकारियों की बात सुनकर विधायक दीपक मिश्रा नाराज होकर बैठक से बाहर निकल गये। एमएलसी देवेंद्र सिंह ने डैमेज कंट्रोल करते हुए बीएसए से कहा कि आपको जनप्रतिनिधियों की बात सुननी चाहिए। इस बात पर भड़क उठी। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को सरकारी जिओ का हवाला देते हुए उनकी हद बताने की कोशिश की। डीएम और जनप्रतिनिधियों के बीच हुई बहस सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो आमजन में एक नयी बहस शुरू हो गई कि लोकतंत्र में कौन बड़ा है, अधिकारी या जनप्रतिनिधि। लोकतंत्र में जनता मालिक है और अधिकारी सेवक डीएम के इस बयान पर देवरिया सदर के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। विधायक ने कहा है कि हम बैठकों में जीओ पढ़ने नहीं बल्कि जीओ का पालन कराने जाते हैं। हमें किसी अधिकारी से जीओ जानने की जरूरत नहीं है। लोकतंत्र में जनता मालिक है और जनता के हितों से जुड़े मुद्दे रखना हमारा कर्तव्य है। इससे हमें कोई रोक नहीं सकता। हर अधिकारी को ये बात भी समझनी ही होगी कि उन्हें जनता की सेवा करने के लिए नियुक्त किया गया ना कि मालिक बनने के लिए।जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण शलभ ने कहा कि अपने क्षेत्र की सड़क को लेकर विधायक शाका मिश्रा की पीड़ा जायज है। दिशा जैसी गंभीर बैठक में एक जनप्रतिनिधि पर सीधा आरोप लगाते हुए सभी जनप्रतिनिधियों को एकसाथ कटघरे में खड़ा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। लोग अधिकारियों व कर्मचारियों की शिकायतें लेकर आयेंगे तो जनप्रतिनिधि सवाल भी पूछेंगे और जायज़ काम कराने का दबाव भी बनाएँगे। यदि अधिकारी अपना काम ठीक ढंग से ही करे तो किसी जनप्रतिनिधि को दबाव बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। जब भी कोई बेबस मदद मांगने हमारे पास आएगा तो जीओ नहीं उनकी तकलीफ़ देखकर मदद की जाएगी।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/deoria/mla-shalabh-mani-tripathi-on-deoria-dm-divya-mittal-news/articleshow/122455927.cms
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