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आइशी घोष बोलीं- पुलिस को दी थी जेएनयू हिंसा की सूचना, मैसेज पढ़ने के बावजूद अनदेखी की गई

नई दिल्ली .जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ ने शनिवार को आरोप लगाया कि पुलिस को पांच जनवरी को हिंसा होने से बहुत पहले भीड़ के जमा होने की सूचना दी गई थी, जिसकी उसने अनदेखी की। जेएनयू छात्रसंघ ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया, ‘उन्होंने दोपहर तीन बजे इसकी सूचना दी और तीन बजकर सात मिनट पर पुलिस इसे पढ़ चुकी थी, बावजूद इसकी अनदेखी की गई।' उन्होंने आरोप लगाया कि छात्राओं और छात्रसंघ पदाधिकारियों पर हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लोग शामिल हैं। छात्रसंघ ने कहा कि अभाविप सदस्यों ने चार जनवरी को भी छात्राओं के साथ मारपीट की थी और जब छात्रसंघ महासचिव सतीश चंद्र यादव ने हस्तक्षेप किया तो उनके साथ भी मारपीट की गई। छात्रसंघ ने कहा, ‘हमलावरों ने साबरमती छात्रावास के चुनिंदा कमरों को निशाना बनाया और यहां तक की छात्राओं को बालकनी से बाहर फेंक दिया लेकिन उन्होंने एबीवीपी कार्यकर्ताओं के कमरों को नहीं छुआ'।


आईशी ने कहा कि स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन की फीस-100-120 रुपए देकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। लेकिन बढ़ी हुई फीस को लेकर प्रदर्शन जारी रहेगा। उधर, वसंतकुंज नार्थ थानाध्यक्ष रितु राज की तरफ से सभी हॉस्टल का सुरक्षा ऑडिट हॉस्टल वॉर्डन की तरफ से करवाए जाने की चिट्ठी के बाद डीन ऑफ स्टूडेंट्स उमेश के. कदम ने सभी सीनियर वार्डन को पत्र लिखकर सुरक्षा ऑडिट के लिए कहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण ये बात कही गई है कि हॉस्टल में आउटसाइडर्स, अवैध छात्र या मेहमान की पहचान करें, अगर कोई ऐसा पाया जाता है तो वसंत कुंज नार्थ थानाध्यक्ष को सूचित करें। बता दें कि पिछले छह दिनों से इस केस की तहकीकात कर रही एसआईटी की टीम पर भी सवाल उठ रहे हैं। अभी तक जांच टीम केवल उन्हीं नौ लोगों की पहचान करने का दावा कर सकी है, जिनमें तकरीबन सभी के चेहरे नकाब के पीछे छिपे नहीं थे। लेकिन जो हमलावर मुंह को कवर किए हुए था, उनकी पहचान को लेकर पुलिस अब तक खामोश है।

एबीवीपी ने डीयू में ‘वामपंथी हिंसा’ के खिलाफ निकाला मार्च

पुलिस ने छात्रा डोलन को पूछताछ के लिए 15 जनवरी को बुलाया

जेएनयू हिंसा मामले में शामिल जिन नौ छात्रों की पुलिस ने पहचान की, उन्हें एसआईटी की टीम ने इंवेस्टीगेशन में शामिल होने के लिए नोटिस दिए हैं। इन छात्रों को पूछताछ में शामिल होने और अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। इनमें में से एक छात्रा डोलन को पूछताछ के लिए 15 जनवरी को बुलाया गया है। पुलिस सूत्रों का कहना है इन सभी को नोटिस ईमेल के जरिए भेजा गया है। एसआईटी की टीम ने एक निजी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग पर भी संज्ञान लिया है। इस स्टिंग में कुछ छात्र हिंसा में शामिल होने का कबूलनाम करते नजर आए हैं। पुलिस ने उसे केस में सबूत के तौर पर पेश करने के लिए संबंधित चैनल से संपर्क कर टेप की मांग की है। एसआईटी ने अपनी जांच में इस बात को माना है कि अगर तीन और चार जनवरी को कैंपस के अंदर हुई हिंसा पर स्थानीय पुलिस ने उचित कार्रवाई की होती तो रविवार को इतने बड़े स्तर पर हिंसा ही नहीं होती। क्राइम ब्रांच सूत्रों की ओर से दावा किया गया है जिन नौ लोगों की पहचान हुई थी, उन्हीं में कुछ ऐसे थे जो नकाब पहन हिंसा में शामिल पाए गए हैं। पुलिस को इनकी नकाब वाली वाली तस्वीरें भी मिली हैं। ये सभी लेफ्ट संगठन से जुड़े है।

जेएनयू हिंसा में जिन छात्रों की पहचान हुई, उनकी गिरफ्तारी करने से बचेगी पुलिस

नागरिकता कानून के विरोध में पिछले दिनों दिल्ली में कई प्रदर्शन हुए। जिसके बाद अलग अलग थानों में पुलिस ने प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 तीन के तहत मुकदमे दर्ज किए और काफी संख्या में लोगों की पहचान होने के बाद गिरफ्तारी डाली। जेएनयू हिंसा में भी दो मामले में इसी धारा को शामिल किया है, जिनमें 21 छात्रों के नाम का जिक्र है। मामले की जांच कर रही एसआईटी की टीम ने जिन नौ लोगों की पहचान कर लेने का दावा किया, उनमें से 4 छात्रों के नाम का जिक्र दर्ज दो केस में है। इन छात्रों की पहचान होने के बाद उन्हें आरोपी बना गिरफ्तारी डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। इसके पीछे पुलिस छात्रों के भविष्य का हवाला दे रह है। इन केसों में छात्रों की गिरफ्तारी के मसले पर एडवोकेट मनीष भदौरिया ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा ये सब जांच टीम के ऊपर निर्भर करता है कि वह किसे गिरफ्तार करे या न करे। वर्ष 2005 अमरावती- स्टेट ऑफ यूपी इलाहबाद हाईकोर्ट के ग्यारह जजों की बेंच ने इसे लेकर फैसला सुनाया था। एडवोकेट ने कहा अगर पुलिस ऐसे किसी मामले में आरोपी की पहचान के बाद गिरफ्तारी नहीं डालती है तो उसे कोर्ट में लिखित रूप से यह बताना पड़ता है कि आखिर उन्होंने यह कदम क्यों नहीं उठाया। इसके पीछे की वजह छात्रों का भविष्य, लॉ एंड आर्डर बिगड़ने का डर भी हो सकता है।

हिंसा करने वाले इन नकाबपोशों के चेहरे बेनकाब होने का इंतजार

4 संगठनों के लोगों ने पेरियार हॉस्टल में छात्रों पर हमला किया। हमलावर मुंह ढंके हुए थे। हमने कुछ को चिह्नित किया है। पेरियार हॉस्टल में कुछ खास कमरों को टारगेट किया गया। 5 जनवरी को शाम को साबरमती हॉस्टल में पीस मीटिंग हो रही थी शाम को, तभी अचानक नकाबपोश लोगों का एक समूह आया और साबरमती हॉस्टल में हिंसा की। इस समूह में भी कुछ छात्र थे, उन्हें चिह्नित किया गया है। ये नकाबपोश कौन हैं इनका खुलासा अब नहीं हुआ है।

इधर, शाहीन बाग में दिखा अनोखा नजारा, बच्चों के लिए बनी आर्ट गैलरी

दिल्ली का शाहीन बाग इलाका नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ करीब एक महीने से जारी प्रदर्शन के लिए देशभर में चर्चा में है। वहीं छोटे बच्चों के लिए रीड फॉर रिवॉल्यूशन नाम से एक लाइब्रेरी जैसी जगह तैयार की गई है, जहां छोटे बच्चे पेंटिंग करते हैं और पोस्टर बनाते हैं। इस जगह को कोई लाइब्रेरी कह रहा है तो किसी ने इसे किड सेक्शन नाम दिया है। इसके अलावा कुछ लोग इसे आर्ट गैलरी भी कह रहे हैं।

जेएनयू की अपील | जेएनयू ने स्टूडेंट्स से अपील की है कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन का स्वागत करते हैं। लेकिन विवि में वर्तमान में जो हालात हैं, इससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पढ़ाई सुचारू रूप से चलने दें। क्योंकि सेमेस्टर एग्जाम होने वाले हैं।



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जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने जेएनयू कैंपस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
भाजपा से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिसद(एबीवीपी) के सदस्यों ने शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) परिसर में सीएए के समर्थन और ‘वामपंथी हिंसा’ के खिलाफ मार्च निकाला।


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