कोरोना से जंग जीतने वाले तबरेज की सलाह, कोरोना का संक्रमण छिपाना परिवार समाज और देश के साथ बड़ा धोखा
(धर्मेंद्र डागर)क्वारेंटाइन सेंटर में घर से भी अच्छी सुविधा है। डॉक्टर दिन में 3 बार फोन कर हालत के बारे में पूछते थे। फिर दिन में 2 बार देखने के आते थे। दोनों बार चेकअप भी करते थे। खांसी, बुखार होने पर दवा देकर जाते थे। खाने-पीने के लिए भी समय पर सब कुछ मिलता था। लेकिन क्वारेंटाइन सेंटर में कुछ खामियां भी उसे नजर आईं। येे बातें 25 दिन क्वारेंटाइन में रहने के बाद जहांगीरपुरी निवासी तबरेज ने बताई। तबरेज कोरोना पॉजिटीव था। उसे 2 दिन वेंटीलेटर पर भी रखा गया था।
कोरोना पॉजिटिव का पता चलने पर पहले तबरेज इतना अधिक घबरा गया था कि उसे उम्मीद नहीं थी कि वह इस बीमारी से जीत जाएगा। लेकिन अपने आत्मविश्वास, परिवार का सपोर्ट, सोशल डिस्टेंस, कानून का पालन करके उसने कोरोना को हरा दिया है। तबरेज स्वस्थ्य है और फिलहाल होम क्वारेंटाइन में है। मंगलवार को तबरेज ने आईबीएलएस में प्लॉजमा डोनेट किया है, जिससे कुछ गंभीर कोरोना पीड़ितों की जान बचाई जा सके।
प्लाज्मा डोनेट करने को एक बार में हुए तैयार
कोरोना पॉिजटिव के बाद तबरेज अब स्वस्थ्य है। आईबीएलएस से उनके पास कॉल आया। जिसमें प्लाज्मा डोनेट करने की बात कही। उन्होंने हां कर दी। मंगलवार को तबरेज ने आईबीएलएस जाकर प्लॉज्मा डोनेट किया।
सोशल डिस्टेंस ही कोरोना के बचाव की दवा
तबरेज को 103 डिग्री से अधिक फीवर और खांसी व सांस लेने मेंपरेशानी होने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया। जब हालत में सुधार हुआ क्वारंेटाइन सेंटर में रहा। बार-बार डॉक्टर कहते थे कि सोशल डिस्टेंस ही कोरोना बीमारी की दवा है।
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