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कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग नहीं करा रहा उसके परिजनों का टेस्ट

गुड़गांव में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। चिंता की बात है कि अब गंभीर पेशेंट को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं, एक पेशेंट की दो दिन पहले कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों का टेस्ट तक नहीं किया गया। यह लापरवाही का मामला आदर्श नगर में सामने आया है। पॉजिटिव लक्षण वाले पेशेंट को अब प्राइवेट अस्पतालों के जिम्मे छोड़ दिया जा रहा है, जहां पेशेंट व अटेंडेंट को भी दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।
मामला गत 5 जून का है। आदर्श नगर निवासी विनोद जैन (59) के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। दोपहर बाद 3 बजे नगर निगम की ओर से अधिकारियों ने उनके घर के बाहर कोरोना पॉजिटिव होने का नोटिस चस्पा दिया। इसके दो घंटे बाद ही करीब 5 बजे विनोद जैन की हालत बहुत बिगड़ गई। सरकारी अस्पताल में कई बार कॉल की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। विनोद के परिजन उन्हें पारस अस्पताल में लेकर गए। वहां पर कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई।

पॉजिटिव केस होने के चलते निगम की ओर से ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया। स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में भी यह सारा मामला था। विभाग ने विनोद जैन के परिवार के ना तो टेस्ट कराए और ना ही उन्हें कोई जानकारी दी गई कि वे आखिर किस तरह से रहें। क्योंकि उन्हें भी डर था कि परिवार के मुखिया विनोद की वजह से कहीं परिवार के अन्य सदस्यों में संक्रमण ना फैल गया हो। विनोद के भतीजे वीरेंद्र जैन ने बताया कि उन्होंने इस बारे में स्वास्थ्य विभाग में बात की।

सीएमओ डा. जेएस पूनिया ने कहा कि उनके एरिया को डा. रामप्रकाश देखते हैं। डा. रामप्रकाश ने परिवार के लोगों को यहां पुराने नागरिक अस्पताल स्थित अपने कार्यालय बुलाया, लेकिन 4 घंटे तक बैठाने के बाद भी किसी का सेंपल नहीं लिया गया। परेशान होकर परिवार के सदस्य घर आ गए। हेल्पलाइन 1950 और चंडीगढ़ राज्य हेल्पलाइन 0172-2545938 पर खूब कॉल की, जहां से कोई जवाब नहीं मिला।

प्राइवेट अस्पतालों को टैस्ट की राशि से है मतलब, रिपोर्ट से नहीं
एक तरफ जहां कोरोना वायरस के कारण आम आदमी परेशान है, वहीं प्राइवेट अस्पतालों ने इस संकट को भी व्यापार बना लिया है। मामला पारस अस्पताल का है, जहां दो दिन पहले जुनेद सिंह को पथरी और गदूद की परेशानी के कारण एडमिट कराना था। उनके साथ एक अटेंडेंट भी था। दोनों के कोरोना टेस्ट कराने के लिए मेंडेटरी बताया गया।

पहले 24 घंटे में दोनों की रिपोर्ट आने की बात कही गई, लेकिन 2 दिन बाद रिपोर्ट आई। लेकिन अटेंडेंट को बिना जांच रिपोर्ट के लिए अस्पताल में एन्ट्री दे दी गई। इससे साफ है कि अस्पताल को संक्रमण से अधिक अपने टेस्ट की धनराशि की चिंता है। टेस्ट के 10 हजार मिलने के बाद अटेंडेंट दो दिन अस्पताल में ही घूमता रहा।

आम आदमी परेशान हैं कि वे पॉजिटिव हैं तो कहां जाएं

मारुति कंपनी के कर्मचारी विनीत ने बताया कि प्राइवेट अस्पताल में जाकर उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया था। लेकिन पॉजिटिव पाए जाने के बाद पहले क्वारेंटाइन सेंटर-9 भेजा गया, जहां से बाद में ईएसआईसी अस्पताल सेक्टर-9ए में एडमिट किया गया। विनीत ने बताया कि पहले पेशेंट को यह जानकारी दी जानी चाहिए, उसे कहां जाकर टेस्ट कराना है। आम आदमी इसी बात को लेकर परेशान हैं कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं तो कहां जाएं।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी

सीएमओ डा. जेएस पूनिया ने कहा कि कोरोना वायरस का खतरे को देखते हुए बिना लक्षण वाले पेशेंट का अब टेस्ट करवाना जरूरी नहीं है। यदि किसी को लक्षण है तो उनके टेस्ट करवाए जाएंगे। वहीं पारस अस्पताल प्रबंधन का कहना है अस्पताल में आने वाले पेशेंट की जांच करना अनिवार्य किया गया है।

किसी को लक्षण है तो कहां जाए

महामारी विशेषज्ञ डा. रामप्रकाश ने बताया कि जिस पेशेंट को कोई लक्षण नहीं है तो वह होम क्वारेंटाइन हो सकता है। यदि सांस लेने में तकलीफ, खांसी या बुखार है तो वे नागरिक अस्पताल सेक्टर-10 में टेस्ट करवा सकता है।



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गुड़गांव. नागरिक अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाने के लिए खड़े पेशेंट।


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