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ओवैसी ने राजस्थान में कांग्रेस की उड़ाई नींद, मुस्लिम वोट खिसका तो बिगड़ेगा गणित, 40 सीटों पर होगा असर

जयपुर: हैदराबाद लोकसभा सीट से सासंद और AIMIM के नेता की पार्टी एआईएमएआईएम ने राजस्थान में एंट्री कर दी है। खुद ओवैसी ने प्रदेश के अलग अलग जिलों में दौरे शुरू कर दिए हैं। हाल ही में उन्होंने जयपुर, सीकर, झुंझुनूं और नागौर में जनसभाओं को संबोधित करके चुनावी बिगुल बजा दिया है। ओवैसी के दौरे से कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है। हिन्दुत्व विचारधारा वाली पार्टी होने के कारण गिने चुने मुसलमान ही भाजपा में है। अधिकतर मुसलमान परम्परागत रूप से कांग्रेस का वोट बैंक रहा है। ऐसे में ओवैसी मुस्लिम वोटों को खींच ले जाएंगे तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान होता तय है। आगामी विधानसभा चुनावों में ओवैसी ने 40 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। राजस्थान की 36 सीटों पर मुस्लिम वोटों से तय होती है प्रत्याशी की जीत राजस्थान में कुल आबादी की 9 फीसदी आबादी मुस्लिम है। अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों के लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश की 200 विधानसभा क्षेत्रों में से 36 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट काफी संख्या में है। किसी भी दल के प्रत्याशी की जीत में मुस्लिम वोटों की अहमियत सबसे ज्यादा होती है। इनमें से 16 सीटें तो ऐसी है जहां प्रत्याशियों की जीत मुस्लिम वोट ही तय करते हैं। ये विधानसभा सीटें हैं टोंक, पुष्कर, डीडवाना, मसूदा, मकराना, लाडपुरा, नागौर, फतेहपुर, तिजारा, रामगढ, किशनपोल, आदर्श नगर, हवामहल, चौहटन, शिव और पोकरण। इन विधानसभा सीटों से अगर हिन्दु प्रत्याशी भी चुनाव जीतते हैं तो इसमें मुस्लिम वोटों की विशेष भूमिका रहती है। वर्तमान में 9 मुस्लिम विधायक हैं, इनमें से 2 मंत्री हैं वर्तमान विधानसभा के 9 सदस्य मुस्लिम हैं। यह सभी 9 विधायक जाहिदा खान, सालेह मोहम्मद, अमीन खान, हाकम अली, रफीक खान, अमीन कागजी, दानिश अबरार, साफिया जुबेर, और वाजिब अली कांग्रेस से हैं। इनमें से जाहिदा खान और सालेह मोहम्मद गहलोत मंत्री मंडल में शामिल है। 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने केवल एक मुस्लिम प्रत्याशी युनूष खान को टोंक से टिकट दिया था। सचिन पायलट के सामने युनूष खान चुनाव नहीं जीत सके। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 19 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे लेकिन देशभर में मोदी और भाजपा की लहर के कारण एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका। बीजेपी ने 4 प्रत्याशी उतारे, जिनमें से 2 ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 13 मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा, जिनमें से 11 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। अब असदुद्दीन ओवैसी उन विधानसभा सीटों पर फोकस कर रहे हैं जहां मुस्लिम काफी संख्या में हो ताकि चुनाव जीतने की संभावनाएं ज्यादा हो। मुस्लिम वोट खिसकने से घबराई कांग्रेस असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की राजस्थान में एंट्री होने पर सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को होने वाला है। ओवैसी यह आह्वान कर चुके हैं कि मुस्लिम युवाओं को अब दूसरी राजनैतिक पार्टियों के पीछे पीछे चलकर नारे लगाने की जरूरत नहीं है। वे आगे आएं हो लीडर बने। ऐसे में तय है कि ओवैसी मुस्लिम नेताओं को ही विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी बनाएगी। राजनैतिक पार्टियां भी जातिगत मतदाताओं की संख्या देखकर प्रत्याशी उतारती है। हालांकि वोटिंग के दौरान राजनैतिक दल से जुड़ाव महत्वपूर्ण होता है लेकिन अधिकतर मतदाता अपनी जाति देखकर अपना वोट तय करता है। ऐसे में ओवैसी की पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीते या नहीं जीते, यह अलग विषय है। इतना तो तय है कि वे कांग्रेस के प्रत्याशियों की हार निश्चित कर देंगे।


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