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संपादकीय: मिस्‍त्री की मौत के बाद सख्‍ती के मूड में सरकार, सालाना डेढ़ लाख से ज्यादा मौतें... कैसे सुरक्षित हों सड़कें?

देश के जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन की पिछले दिनों सड़क हादसे में हुई मौत ने मोटर वाहनों में निहित सुरक्षा उपायों और उनके इस्तेमाल की अहमियत की ओर नए सिरे से ध्यान खींचा है। यह बात खबरों में आई कि मिस्त्री कार में पिछली सीट पर बैठे थे और उन्होंने नहीं बांध रखी थी। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर उन्होंने सीट बेल्ट बांधी होती तो उनके बचने की प्रबल संभावना थी। अपने देश में यात्री सुरक्षा के उपायों को लेकर भारी उदासीनता है। आलम यह है कि पिछली सीट पर यात्रा करते हुए भी सीट बेल्ट बांधने की जरूरत होती है, यह बात ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है। खुद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद लोग इसका पालन नहीं करते और ट्रैफिक पुलिस के ऑफिसर भी इस पर किसी तरह का कदम नहीं उठाते। गौरतलब है कि सेंट्रल मोटर वीइकल रूल 138 (3) में कहा गया कि है पिछली सीट पर बिना सीट बेल्ट लगाए यात्रा करने पर 1000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। मगर इस कानून पर अमल होता नहीं दिखता। अब जरूर सरकार जागी है तो इस मोर्चे पर अगले कुछ दिनों में एक्शन दिखने की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी के बारे में उदासीनता या लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता। वह इन मसलों पर भी न केवल बोलते रहे हैं बल्कि कार निर्माताओं से भी सुरक्षा उपाय बढ़ाने की अपील करते रहे हैं। चूंकि बयान, सुझाव और अपील खास असर नहीं दिखा रहे इसलिए अब नियम कानूनों और दंडात्मक कार्रवाई का सहारा लेने की जरूरत है। सरकार ने संकेत भी दिया है कि न केवल सीट बेल्ट न लगाने वालों के साथ सख्ती बरती जाएगी बल्कि कम से कम छह एयरबैग और पिछली सीटों के लिए भी सीट बेल्ट अलार्म सभी गाड़ियों में लगाना अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि कार कंपनियों की दलील है कि महंगे स्लॉट वाली गाड़ियों में तो यह लगाया जाता है लेकिन छोटी गाड़ियों में इससे लागत काफी बढ़ जाएगी, जिससे बिक्री पर बुरा असर पड़ सकता है। मगर याद रखना चाहिए कि भारत सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में देश में 1.55 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए। मतलब रोज 426 और हर घंटे 18 मौतें। हर लिहाज से यह बहुत ज्यादा है। सरकार अगर 2024 तक इस संख्या को आधा करने का लक्ष्य लेकर चल रही है तो यह अच्छी बात है, लेकिन इसे संभव बनाने के लिए लोगों में जागरूकता और मोटर वाहनों के सुरक्षा उपायों के अलावा सड़कों को सुधारने पर भी गंभीरता से काम करना होगा।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/opinion/editorial/cyrus-mistry-death-in-car-accidents-brings-focus-on-road-safety-rules-including-seat-belt/articleshow/94061729.cms
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