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सचिन पायलट की 'बगावत' से कैसे जुदा है अशोक गहलोत की 'नाफरमानी'? जानें मानेसर की वो कहानी

जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए (ashok gehlot) के इशारे पर कथित तौर पर कांग्रेस में एक बड़ा खेल खेला गया है। (sachin pilot) को सीएम बनने से रोकने के लिए गहलोत समर्थित 92 विधायकों ने तेवर दिखाते हुए अपने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (cp joshi) को सौंप दिए। रविवार 25 सितंबर को अचानक हुए इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी। गहलोत ने चुप्पी साधते हुए अपने समर्थकों के जरिए हाईकमान को चुनौती दे डाली। इस सियासी खेल से जुलाई 2020 का वो खेल भी ताजा हो गया जब सचिन पायलट ने भी बगावती तेवर अपनाए थे। मुख्यमंत्री की कुर्सी की खातिर सचिन पायलट अपने समर्थित विधायकों के साथ राजस्थान से बाहर मानेसर के एक होटल में जाकर ठहर गए थे। प्रदेश सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया था। सरकार बचाने के लिए अशोक गहलोत को अपने समर्थित विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। 34 दिनों तक विधायकों के साथ गहलोत भी पहले जयपुर और फिर जैसलमेर की होटलों में रहे। बाद में सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने सरेंडर किया और सदन में गहलोत सरकार का साथ दिया तो सरकार पर संटक टल गया। जानिए मानेसर की वो पूरी कहानी.... 11 जून 2020 को हुए प्रयास लेकिन सूचना लीक हो गई वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट मुख्यमंत्री के दावेदार थे। कई दिनों तक दिल्ली में दोनों के नामों पर चर्चा होती रही। आखिर में आलाकमान ने अशोक गहलोत का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर फाइनल किया। सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा। पायलट के मन में लगातार यह पीड़ा थी वे मुख्यमंत्री पद के हकदार थे और अशोक गहलोत इसमें बाजी मार गए। पायलट ने विधायकों का समर्थन जुटाना शुरू किया। उन्हें लगा कि उनके साथ 35 से 40 विधायक हैं। प्लानिंग के मुताबिक सचिन पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि के दिन 11 जून 2020 को बगावत की जानी थी लेकिन सूचना लीक होने और कुछ विधायकों द्वारा अनुपस्थित रहने से बगावत नहीं हो सकी। जुलाई के पहले सप्ताह में मानेसर पहुंच गए पायलट जुलाई 2020 में कोरोना के चलते लॉक डाउन लगा हुआ था। जिलों और राज्यों की सीमाएं सील थी। इसके बावजूद भी जुलाई के पहले सप्ताह में सचिन पायलट और उनके समर्थित कुछ विधायक राजस्थान से बाहर निकलने में कामयाब हो गए। करीब डेढ दर्जन विधायक गुप्त स्थान पर चले गए। दो दिन बाद पता चला कि पायलट समर्थित विधायक हरियाणा के होटल मानेसर में ठहरे हुए हैं। सभी विधायकों के मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ थे। ऐसा कहा जा रहा था कि कुछ और विधायक भी सचिन पायलट की बाड़ेबंदी में पहुंचने वाले हैं लेकिन अशोक गहलोत का सूचना तंत्र कमजोर नहीं है। उनके पास सूचनाएं आती रही और गहलोत ने भी अपने समर्थित विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी। कांग्रेसी विधायकों के साथ सहयोगी दलों और निर्दलीयों को भी बाड़ेबंदी में बुला लिया गया। सरकार संकट में आई और पायलट मौन धारण करके बैठ गए सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों के होटल मानेसर जाकर कैद हो जाने पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई। सदन में बहुमत साबित करने की नौबत आने लगी। संख्या बल कम होने के कारण सरकार डरी हुई थी। कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओं का जयपुर में जमावड़ा हो गया। पायलट को मनाने की कोशिशें होती रही लेकिन कामयाब नहीं हो पा रहे थे। सचिन पायलट ने चुप्पी साथ ली थी और उनके समर्थक विधायकों के ट्वीट आने लगे कि उन्हें अशोक गहलोत का नेतृत्व मंजूर नहीं है। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री की कुर्सी की खातिर अपने समर्थित विधायकों के साथ होटल में जाकर बैठ गए हैं। ऑडियो क्लिप वायरल हुई और मुकदमें दर्ज हुए, मानेसर होटल पर पहुंची पुलिस इसी बीच तीन ऑडियो क्लिप वायरल होती है और मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा एसओजी में मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है। एक मुकदमा एसीबी में भी दर्ज होता है। अब उन मुकदमों के आधार पर सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों को पूछताछ के बहाने जयपुर लाने के प्रयास शुरू हुए। राजस्थान पुलिस होटल जाती है तो हरियाणा पुलिस ने रोक लिया। दो बार दोनों राज्यों की पुलिस में झड़प भी हुई। आखिर राजस्थान पुलिस होटल पहुंचने में कामयाब तो हुई लेकिन जिस विधायक से पूछताछ करनी थी, वे विधायक होटल में नहीं मिले। राजस्थान पुलिस की टीम को होटल में नोटिस चस्पा करके वापस लौटना पड़ा। इधर गहलोत सरकार बचाने के लिए अपने समर्थित विधायकों के साथ होटल में ही ठहरे रहे। कांग्रेस आलाकमान ने लिया सख्त एक्शन, पायलट और दो मंत्रियों को किया बर्खास्त कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं द्वारा लगातार कोशिशों के बावजूद भी सचिन पायलट के तेवर ढीले नहीं पड़े। वे सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की जिद पर अड़े रहे। वहां से उन्हें समय नहीं मिला था। फिर आलाकमान के इशारे पर 14 जुलाई 2020 को सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह को भी मंत्रीपद से बर्खास्त कर दिया गया। इसी के साथ एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस, सेवादल की कार्यकारिणियों को भी भंग कर दिया गया था। इसी दिन गोविन्द सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाने की घोषणा हो गई। पायलट और उनके समर्थित विधायकों को बुलाने के लिए भेजे गए नोटिस सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों को जयपुर बुलाने के अलग अलग तरीके अपनाए जाने लगे। विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए व्हीप जारी की गई। बैठक में नहीं आने पर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका पेश कर दी। याचिका लगने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को नोटिस जारी करते हुए कारण पूछा और पेश होने को कहा। कई दिनों तक नोटिस तामिल भी नहीं हो सके। हेमाराम चौधरी होटल मानेसर में थे जबकि बाड़मेर स्थित उनके घर के बाहर पुलिस आधी रात को नोटिस तामिल कराने के लिए घर के बाहर चस्पा करके चली गई। इसके बाद मामला हाईकोर्ट में चला। नियमित सुनवाई होने लगी लेकिन पायलट और उनके समर्थित विधायक जयपुर नहीं लौटे। सदन में बहुमत पेश करने की नौबत आई, राज्यपाल ने सदन की अनुमति नहीं दी महीनेभर तक चले सियासी संकट में अशोक गहलोत के समक्ष सदन में बहुमत पेश करने की नौबत आ गई। सुलह के प्रयासों के बीच विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल के पास अनुशंषा भेजी लेकिन राज्यपाल ने अनुमति नहीं दी। तीन बार फाइल राजभवन भेजी लेकिन राज्यपाल द्वारा लौटा दी गई। बाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के विधायकों ने राजभवन आकर धरना दिया और नारेबाजी की। सरकार और राजभवन की टकराव की स्थिति के बाद राजभवन की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति मिल गई। प्रियंका गांधी की दखल के बाद हुई सुलह, शर्तों के साथ सचिन ने किया सरेंडर अगस्त 2020 के दूसरे सप्ताह में सचिन पायलट की प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई। कई मुद्दों पर बातचीत के बाद कुछ शर्तों पर सचिन पायलट मानने को राजी हुए। 14 अगस्त 2020 को अशोक गहलोत विधानसभा में बहुमत साबित करने में कामयाब रहे। इसी के साथ राज्य सरकार पर आया सियासी संकट टल गया। इस सियासी संकट के लिए कांग्रेस ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था। कांग्रेस के नेताओं का आरोप था कि भाजपा द्वारा कांग्रेस के कुछ नेताओं को करोड़ों रुपए का लालच दिया गया। सरकार को गिराने की कोशिश की गई लेकिन बीजेपी इसमें कामयाब नहीं हो पाई। बहुमत साबित करते ही गहलोत ने दिखा दिए थे तेवर 14 अगस्त को राजस्थान विधानसभा में बहुत साबित करने के बाद अशोक गहलोत विक्ट्री के सिंबल के साथ विधानसभा से बाहर आए। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने भाजपा को आड़े हाथों लिया। साथ ही यह भी कर दिया कि अगर कांग्रेस के ये 19 विधायक साथ नहीं देते तो भी हम सरकार बचा लेते। यह बयान देकर गहलोत ने पायलट और उनके समर्थित विधायकों को आइना दिखाने की कोशिश की। गहलोत ने सचिन पायलट पर तंज कसते हुए यह बयान दिया था। बीते दो साल दर्जनों ऐसे मौके आए जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर सियासी तंज कसे। अब 25 सितंबर 2022 को गहलोत ने अपने समर्थित विधायकों के जरिए कांग्रेस आलाकमान को चुनौती दे दी है। (रिपोर्ट - रामस्वरूप लामरोड़)


from https://navbharattimes.indiatimes.com/state/rajasthan/jaipur/rajasthan-political-crisis-over-ashok-gehlot-vs-sachin-pilot-and-recall-story-of-manesar-resort-where-pilot-camp-mlas-were-staying/articleshow/94463943.cms
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