टाट पर बैठ की पढ़ाई, किसानी से चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी तक... कौन हैं सतनाम सिंह संधू?
चंडीगढ़: पंजाब के मोहाली में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की छात्रा पर अपनी ही सहेलियों के आपत्तिजनक विडियो वायरल करने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि आरोपी लड़की कई दिनों से सहेलियों के अश्लील फोटो अपने बॉयफ्रेंड को सप्लाई कर रही थी। आशंका जताई जा रही है कि लड़का इन तस्वीरों और विडियो को बेचकर पैसा कमा रहा था। इस घटना के बाद गुस्साए छात्रों ने शनिवार देर रात चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी को घेर लिया और हंगामा शुरू दिया। जिस युवती ने विडियो बनाए उसे हॉस्टल के एक कमरे में बंद कर दिया गया। हंगामा बढ़ता देख प्रबंधन ने यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट बंद करवा दिए। मामले की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। भड़के छात्रों ने पुलिस की गाड़ियों को पलट दिया और आग लगाने की कोशिश की। पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि छात्राओं ने जब मामले की शिकायत हॉस्टल की वॉर्डन और अन्य अधिकारियों से की, लेकिन किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। शनिवार की रात छात्राएं जब सड़कों पर उतरीं तो प्रबंधन हरकत में आया। पूरा घटनाक्रम उजागर होने के बाद भी चंडीगढ़ विश्वविद्यालय प्रबंधन और मोहाली जिला प्रशासन ऐसी किसी भी घटना से इनकार करता रहा। इस बीच, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने रविवार को देर शाम सभी छात्रों को हॉस्टलों में भेजकर सभी रास्ते बंद कर दिए। एक नोटिस जारी करके यूनिवर्सिटी में अगले दो दिनों के लिए छुट्टी घोषित कर दी गई है। छात्रों के किसी प्रकार की मुलाकात पर रोक लगा दी गई है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ऐसी यूनिवर्सिटी है जो बहुत ही कम समय में बड़ी ऊंचाइयों तक पहुंच गई। इसकी स्थापना 2012 में हुई थी। यह यूनिवर्सिटी महज 10 वर्षों में QS World Rankings 2023 में जगह बना ली। इसकी स्थापना करने वाले सतनाम सिंह संधू का पंजाब में खूब नाम हैं। उन्होंने बहुत कम उम्र में बहुत नाम कमाया। वह अपने सामाजिक कार्यों और सिख उद्यमी के तौर पर जाने जाते हैं। सामाजिक कार्यों से की शुरुआत सतनाम सिंह संधू चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट (सीडब्ल्यूटी) और न्यू इंडिया डिवेलपमेंट (एनआईडी) फाउंडेशन के संरक्षक भी हैं। उनकी संस्थाएं चंडीगढ़ में सामुदायिक कल्याण परियोजनाओं पर काम करती हैं। कभी किसान रहे संधू ने 2001 में शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। सबसे पहले उन्होंने मोहाली के लांडरां में चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज (सीजीसी) की स्थापना की। किसान परिवार में हुए पैदा सतनाम सिंह संधू पंजाब के फिरोजपुर में एक छोटे रसूलपुर से गांव में जन्मे। उनके पिता एक किसान थे और वह खुद एक किसान बने। 2001 में शिक्षा क्षेत्र में कदम रखने के बाद उन्होंने एशिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्राइवेट यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की स्थापना की। उनके साथ रशपाल सिंह धालीवाल भी सहयोगी रहे। धारीवाला राजनीति में चले गए लेकिन संधू को राजनीति रास नहीं आई। जर्जर स्कूल में की पढ़ाई संधू कई बार पत्रकारों से बात करते हुए अपने संघर्ष भरे दिनों का जिक्र करते हैं। उन्होंने कई बार बताया कि उनकी पढ़ाई कैसे जर्जर सरकारी स्कूल में हुई। क्लास नहीं होती थी, उनके टीचर पेड़ों के नीचे पढ़ाते थे। वे लोग बैठने के लिए अपने घर से टाट-पट्टियां ले जाते थे। स्कूलिंग के बाद वह मोगा में ग्रैजुएशन करने आए। यहीं उनकी मुलाकात धालीवाल से हुई। धालीवाल 1995 में स्थानीय नागरिक निकाय के प्रमुख चुने गए। संधू ने इस चुनाव में उनकी मदद की। ऐसे शिक्षा के प्रति हुआ झुकाव संधू ने बहुत ज्यादा पढ़ाई नहीं की। उन्होंने कई बार बताया कि उनके पिता और दादा उन्हें अखबार के संपादकीय पढ़ाते थे। यहां से उनके अंदर शिक्षा को लेकर अलग अलख जगी। उन्होंने दक्षिण राज्य की यात्रा की जहां कई प्राइवेट इंजिनियरिंग संस्थानों में गए और यहीं से उन्हें लगा कि पंजाब में उन्हें अच्छे शैक्षिक संस्थान बनाने की जरूरत है। 95 लाख का लोन लेकर बनाया इंजिनियरिंग कॉलेज मालवा के ग्रामीण इलाके से आने वाले संधू ने चंडीगढ़ की राजधानी से सटे खरड़ के लांडरां में एक इंजिनियरिंग कॉलेज की नींव रखी। दिसंबर 2000 में उन्होंने 95 लाख रुपये का लोन लिया और तीन एकड़ जमीन पर कॉलेज बनाया। धीरे-धीरे यह कॉलेज बढ़ा और फिर 2012 में उन्होंने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इस साल जून में जारी, क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2023 में भारत के 41 शैक्षणिक संस्थान लिस्ट में शामिल थे, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने पहली बार क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में प्रवेश किया। यह पंजाब से सर्वोच्च रैंक वाला संस्थान था। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के नाम पर उठा था विवाद चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के नाम पर तब विवाद खड़ा हो गया था जब पंजाब विश्वविद्यालय की एक उपसमिति ने इसके नाम पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी अधिकारियों की अनुमति के बिना निजी उद्देश्यों के लिए राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के नामों का उपयोग नहीं कर सकता है। उनका कहना था कि यह छात्रों के बीच भ्रम पैदा कर रहा है।
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