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अमेरिका में एक बार फिर ब्याज दरों में हुआ इजाफा, यूएस स्टॉक मार्केट में गिरावट

नई दिल्ली : अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने प्रमुख ब्याज दरों में एक बार फिर बढ़ोतरी की है। यूएस फेड ने ब्याज दरों () में 0.50 फीसदी की वृद्धि की है। महंगाई में नरमी को देखते हुए इस बार फेड ने अपने आक्रामक रुख को थोड़ा कम किया है। फेडरल रिजर्व ने पिछले 0.75 फीसदी की बजाय इस बार ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत का ही इजाफा किया है। यूएस फेड ने बुधवार रात ब्याज दरों में यह बढ़ोतरी की। साथ ही केंद्रीय बैंक ने साल 2023 के आखिर तक ब्याज दरों में कम से कम 0.75 फीसदी की अतिरिक्त बढ़ोतरी का भी अनुमान जताया। फेड ने बरोजगारी में वृद्धि और इकनॉमिक ग्रोथ के करीब-करीब रुक जाने के चलते ऐसा कहा। इससे पहले लगाचार चार बार यूएस फेड ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। अब गुरुवार को बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूरोपियन सेंट्रल बैंक की बैठक होगी। इन पर भी निवेशकों की नजरें टिकी हुई हैं। फेड के इस फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों (US stock markets) में गिरावट देखने को मिली।

2023 में जीडीपी ग्रोथ 0.5% रहने का अनुमान

फेड के इस फैसले से टार्गेट रेट 4.25 से 4.50 की रेंज में आ गई है। यह साल 2007 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। अब साल 2023 के आखिर के लिए ब्याज दर का अनुमान 5.1 फीसदी हो गया है। यह निवेशकों की उम्मीद से अधिक है। अधिकांश अधिकारियों को साल 2024 में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। साथ ही बेरोजगारी दर के साल 2023 के आखिर में बढ़कर 4.6 फीसदी हो जाने का अनुमान है। यह 2024 में भी बनी रहेगी। इस समय अमेरिका में बेरोजगारी दर 3.7 फीसदी पर है। साल 2023 में जीडीपी ग्रोथ 0.5 फीसदी रहने का अनुमान है। यह सितंबर में लगाए गए 1.2 फीसदी के अनुमान से कम है।

यूएस मार्केट में गिरावट

फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली। बुधवार रात सवा एक बजे डाउ जॉन्स 0.98 फीसदी, एसएंडपी-500 1.16 फीसदी और नैस्डेक 1.33 फीसदी की गिरावट के साथ ट्रेड करता दिखा। गुरुवार को भारतीय शेयर बाजारों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है।

आरबीआई ने पांचवीं बार बढ़ाई रेपो रेट

हाल ही में आरबीआई ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में इजाफा किया है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट (RBI Repo Rate) में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। इससे रेपो रेट अब बढ़कर 6.25 फीसदी हो गई है। केंद्रीय बैंक ने मई महीने में रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा किया था। इसके बाद जून, अगस्त और सितंबर में रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया गया। इस तरह मई 2022 से केंद्रीय बैंक प्रमुख ब्याज दरों में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। इस ताजा बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट या शॉर्ट टर्म लेंडिंग रेट 6 फीसदी को पार कर गई है। यह वह दर है, जिस पर बैंक आरबीआई से लोन लेते हैं। अब जब बैंकों के लिए आरबीआई से लोन महंगा हो रहा है, तो वे भी ग्राहकों के लिए लोन पर ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।

केंद्रीय बैंक क्यों बढ़ाते हैं ब्याज दरें?

केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा करते हैं। इकनॉमी में डिमांड और सप्लाई के बीच बैलेंस बनाना काफी जरूरी होता है। जब डिमांड अधिक हो और सप्लाई कम रह जाए, तो महंगाई (Inflation) बढ़ने लगती है। डिमांड बढ़ने के पीछे एक कारण लिक्विडिटी का अधिक होना भी है। जब लोगों के पास अधिक मात्रा में पैसा होगा, तो वे ज्यादा खर्च करेंगे और डिमांड बढ़ेगी। एक अच्छी डिमांड जीडीपी ग्रोथ के लिए बढ़िया होती है। लेकिन जब महंगाई काफी अधिक हो जाती है, तो केंद्रीय बैंक बाजार से लिक्विडिटी को कम करने की कोशिश करते हैं। केंद्रीय बैंक प्रमुख ब्याज दरों में इजाफा कर देते हैं। इसके बाद बैंकों को भी लोन पर दरें बढ़ानी होती हैं। बढ़ी हुई ब्याज दरों के चलते ग्राहक लोन लेना कम कर देते हैं। इससे बाजार में लिक्विडिटी (पैसों की आवक) कम हो जाती है और महंगाई पर काबू पाया जाता है।


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