'जोशीमठ जैसी घटनाओं को रोकना है तो आइजोल से सीखें, क्लाइमेट चेंज का खयाल कर बनें मास्टरप्लान'
जोशीमठ के पहाड़ में 24 दिसंबर, 2009 को एक टनल बोरिंग मशीन ड्रिलिंग ने एक एक्वीफर (जलभृत) को पंक्चर कर दिया। यह वहां सेलंग गांव से तीन किलोमीटर की दूरी पर हुआ। नतीजतन 700-800 लीटर प्रति सेकंड की दर से पानी छोड़ा गया। यह पानी 20-30 लाख लोगों की प्रतिदिन की जरूरत के लिए पर्याप्त था। इसके बाद जोशीमठ में भूजल स्रोत सूखने लगे।
from https://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/nbtguestblog/how-can-we-stop-joshimath-like-tragedies/
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