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अफजाल, आजम, अब्दुल्ला ही नहीं... सजा मिलने के बाद यूपी में इन माननीयों की भी जा चुकी है सदस्यता

लखनऊः उत्तर प्रदेश की रामपुर से विधानसभा सीट से विधायक बने आजम खान को अपनी सदस्यता तब गंवानी पड़ी, जब हेट स्पीच के एक मामले में कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुना दी। इसके बाद बीजेपी विधायक विक्रम सैनी भी साल 2013 के दंगों के मामले में दोषी करार दिए गए और उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द हो गई। आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार से विधायक थे। एक मामले में दो साल की सजा होने के बाद उनकी विधायकी भी चली गई। अब इस सिलसिले में का नंबर है। गैंगस्टर ऐक्ट के एक मामले में 4 साल की सजा के बाद गाजीपुर से सांसद अफजाल की संसद सदस्यता जानी तय है। हालांकि, यूपी में बीते दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें जनप्रतिनिधियों को सजा के बाद अपनी सदस्यता खोनी पड़ी है। आइए उन पर एक नजर डालते हैं।आजम खान को हेट स्पीच पड़ी भारीआजम खान ने रामपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी थी। साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और विधायक बने लेकिन वह इस पद पर ज्यादा दिन तक नहीं रह सके। साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में उन्होंने एक विवादित भाषण दिया था। इससे लेकर बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ हेट स्पीच का केस दर्ज करा दिया था। कोर्ट ने मामले में आजम को दोषी माना और उन्हें दो साल की सजा सुना दी। इसके बाद विधानसभा स्पीकर ने आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी।कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैदउन्नाव में नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में बांगरमऊ के विधायक कुलदीप सिंह को कोर्ट ने दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा का ऐलान होने के बाद ही उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। अब्दुल्ला आजमसड़क जाम कर विरोध करने के मामले में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ कोर्ट में मामला चल रहा था। स्वार-टांडा से विधायक अब्दुल्ला को कोर्ट ने सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का दोषी पाया था। इसके बाद उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई और विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी।दंगों के आरोपी विक्रम सैनीसाल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी रहे विक्रम सैनी को कोर्ट ने दोषी पाया था। दंगों के समय वह जिला पंचायत सदस्य थे और इस मामले में जेल भी गए थे। जेल से छूटे तो बीजेपी ने उन्हें खतौली से अपना उम्मीदवार बनाया। 2017 और 2022 में भी वह चुनाव जीते लेकिन फिर कोर्ट ने उन पर लगे आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी करार देते हुए सजा सुना दी। इसके बाद उन्हें अपनी विधायकी गंवानी पड़ी। उनकी जगह पर खतौली से उनकी पत्नी ने चुनाव लड़ा लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर सकीं। आरएलडी के मदन भैया यहां से चुनाव जीत गए।मित्रसेन यादव की सदस्यता गईसमाजवादी पार्टी के सांसद मित्रसेन यादव पर धोखाधड़ी का आरोप लगा था। वह साल 2009 में फैजाबाद सीट से सपा के सांसद थे। कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई। साल 2015 में उनका निधन हो गया।इंद्र प्रताप तिवारीइंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी अयोध्या के गोसाईंगंज से भाजपा विधायक थे। उन्हें फर्जी मार्कशीट मामले में कोर्ट ने दोषी पाया था। इसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई।कांग्रेस सांसद रशीद मसूद भी चपेट मेंएमबीबीएस सीट घोटाले में कांग्रेस सांसद रशीद मसूद का नाम सामने आया था। वह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद थे। साल 2013 में कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और चार साल की सजा सुनाई। उस समय रशीद मसूद केंद्रीय मंत्री भी थे। सजा के ऐलान के बाद मसूद की संसद सदस्यता चली गई।हत्या के दोषी अशोक चंदेलहमीरपुर से बीजेपी विधायक अशोक चंदेल को 19 अप्रैल 2019 में हाई कोर्ट ने हत्या के एक मामले में दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई। 5 लोगों की हत्या के दोषी पाए गए चंदेल की इसके बाद विधायकी खत्म कर दी गई।अफजाल भी लिस्ट में शामिल होंगेइस सिलसिले में अब अफजाल अंसारी का नंबर भी लगने वाला है। 16 साल पुराने गैंगस्टर के एक मामले में अफजाल को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। उन्हें 4 साल की सजा हुई है। 24 से 48 घंटे के अंदर उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।


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