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नासा कर रहा 'फर्जीवाड़ा', हॉलीवुड टेक्नोलॉजी से बना रहे अंतरिक्ष और एस्ट्रोनॉट का वीडियो... जानें दावे की सच्चाई

वॉशिंगटन: दुनिया में एक ऐसा तबका है जो चांद पर लैंडिंग को फर्जी मानता है। इसके मुताबिक नासा ने इंसानों को कभी चांद पर भेजा ही नहीं और सभी फोटो-वीडियो हॉलीवुड फिल्मों के ग्राफिक्स से बनाई गई हैं। अब इसी तरह का एक दावा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को लेकर किया जा रहा है। एक वीडियो शेयर हो रहा है, जिसके मुताबिक अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में कभी गए ही नहीं। स्पेस स्टेशन के अंदर का लाइव वीडियो ग्रीन स्क्रीन टेक्नोलॉजी के जरिए बनाया गया है। एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि स्पेस स्टेशन के सभी फुटेज एक स्वीमिंग पूल में शूट किए जा रहे हैं।नासा के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि स्पेस स्टेशन पर वास्तव में इंसान हैं। स्पेस मिशन को फर्जी बताने वाले वीडियो में दावा किया जा रहा है कि अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस में निकलने का फुटेज वास्तव में एक विशाल स्वीमिंग पूल में रेकॉर्ड किया गया है। वीडियो में कहा गया है कि नासा के लाइव फुटेज में कई बार ग्लिच आते हैं। नासा ने इस पर कहा कि सैटेलाइट से वीडियो ट्रांसमिशन के दौरान दिक्कत आ सकती है, जिस वजब से यह ग्लिच दिखते हैं। बिना गुरुत्वाकर्षण के अंतरिक्ष में स्पेस यात्रियों के तैरने का का वीडियो कथित तौर पर तारों के जरिए लटका कर रेकॉर्ड किया जा रहा है। इससे जुड़ा वीडियो लाखों लोगों ने देखा है।

वीडियो में क्यों आ रही रुकावट

नासा ने इस कॉन्सपिरेसी थ्योरी को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी तरह की वीडियो रुकावट एंटीना से संचार में दिक्कत के कारण आया है। एपी की के मुताबिक ह्यूस्टन की रहने वाली प्रवक्ता सैंड्रा जोन्स ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन से रियल टाइम फुटेज का ट्रांसमिशन होता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एक एस्ट्रोफिजिसिस्ट जोनाथन मैकडॉवेल के मुताबिक किसी भी दावे में सच्चाई नहीं है। लाइव चल रही इन चीजों को फर्जी बताना मूर्खतापूर्ण और अज्ञान से भरा है। तार से खुद को संभालने के दावे वाले वीडियो पर उन्होंने कहा कि एस्ट्रोनॉट अपने एक साथ की माइक ठीक कर रहा था।

तैर रहा अंतरिक्ष स्टेशन

मैकडॉवेल ने कहा कि कई शौकिया रेडियो ऑपरेटर अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कक्षा में कनेक्ट होते रहते हैं। इस दौरान रेडियो फ्रीक्वेंसी में बदलाव होता रहता है, जो इस बात का सबूत है कि ये एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में ग्रह से ऊपर हैं। कोई भी चीज जो चल रही होती है उसकी फ्रीक्वेंसी बदलती रहती है। स्वीमिंग पूल के जिस फुटेज की बात हो रही है वह ट्रेनिंग के दौरान का है। स्पेस में बाहर कैसे चलेंगे, यह अंतरिक्ष यात्री इसी के जरिए सीखते हैं। एक एस्ट्रोनॉट के हेलमेट में पानी भर जाने के दावे पर कहा कि यह सूट के खराब कूलिंग सिस्टम के कारण हुआ था।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/world/america/video-claiming-nasa-live-footage-of-international-space-station-are-fake-using-hollywood-tecnology-no-astronaut-in-space-know-the-reality/articleshow/100044159.cms
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