बतौर कोच क्यों फेल हैं महान बल्लेबाज रहे राहुल द्रविड़, न टीम संभल रही और न कड़े फैसले ले पा रहे

नई दिल्ली: तकनीकी फैसले लेने में हिचकिचाहट, सीनियर खिलाड़ियों को आईना नहीं दिखा पाना और दूसरी जमात के खिलाड़ियों को तैयार नहीं करने से के मुख्य कोच के रूप में महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को उतनी सफलता नहीं मिल पा रही। इस साल के आखिर में विश्व कप में भी यही हश्र रहा तो उनका अनुबंध बढ़ने की उम्मीद नहीं है। शायद वह खुद ही अनुबंध का विस्तार कराना नहीं चाहेंगे क्योंकि अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाने की कसक उनके चेहरे पर झलकने लगी है।शास्त्री जैसी बेबाकी की कमीअपने जमाने में तेज गेंदबाजों को बेखौफ खेलने वाले द्रविड़ बतौर कोच सवालों की बौछार पर बगलें झांकते नजर आते हैं। वहीं इससे पहले कोच रहे रवि शास्त्री सवालों का सीधा जवाब देते थे, फिर वह आपको पसंद आए चाहे नहीं। भारत की ऑस्ट्रेलिया के हाथों विश्व टेस्ट चैंपियनशिप हार के तुरंत बाद पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने स्टार स्पोर्ट्स पर इंटरव्यू के दौरान उनसे सवाल किया, ‘राहुल, तुम लीजैंड रहे हो, लेकिन उपमहाद्वीप के बाहर हमारे टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज जूझते क्यो नजर आ रहे हैं।’ इस पर द्रविड़ ने कहा, ‘हमारे पास शीर्ष पांच में अनुभवी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ऊंचे मानक कायम किए हैं। ये खिलाड़ी भविष्य में लीजैंड कहलाएंगे, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में दो श्रृंखलाएं जीती, इंग्लैंड में टेस्ट जीते। हम जो कर सकते हैं, कर रहे हैं।’उम्मीदों पर नहीं उतरे खरेइस बात से ना तो गांगुली संतुष्ट दिखे और न ही लाखों क्रिकेटप्रेमी जो टीवी के आगे नजरें गड़ाए बैठे थे सीनियर टीम के साथ दो साल के कार्यकाल में अक्सर द्रविड़ इसी तरह नजर आए हैं, उनके कोच बनने पर जितना उत्साह क्रिकेटप्रेमियों में देखा गया था, वह काफूर होता दिख रहा है। भारत की हार के बीज नागपुर, दिल्ली और इंदौर में ही पड़ गए थे जहां डब्ल्यूटीसी अंक लेने के लिए टीम खराब पिचों पर खेली, इससे बल्लेबाजों का आत्मविश्वास डोला और गेंदबाज तैयार नहीं हो सके।शायद ही मिले अगला कार्यकालऋषभ पंत के हादसे में घायल होने और जसप्रीत बुमराह की चोट से भारत को नुकसान तो हुआ ही, लेकिन बतौर कोच जोखिम नहीं लेने वाले द्रविड़ की रणनीति से भी कोई फायदा नहीं हुआ। वह सीनियर खिलाड़ियों को भी डपट नहीं सके जो रणनीति पर खरे नहीं उतर पा रहे। भारतीय टीम अगले डब्ल्यूटीसी चक्र की शुरुआत एक महीने बाद वेस्टइंडीज दौरे से करेगी। क्या द्रविड़ अगले दो साल के लिए टीम बना सकेंगे जब रोहित, कोहली और पुजारा टीम का हिस्सा नहीं होंगे। क्या वह जोखिम लेंगे या उसी ढर्रे पर चलना पसंद करेंगे। इन सवालों के जवाब सिर्फ द्रविड़ के पास हैं।
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