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कोरोना अंतिम महामारी नहीं... बड़े संक्रामक खतरे की आशंका, एक्सपर्ट्स कमेटी ने बताया निपटने का तरीका

नई दिल्ली : किसी भी पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी (सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल) में पहले 100 दिन बहुत ही नाजुक होते हैं, जिसमें तुरंत प्रभाव से एक्शन लेना होता है। इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम जितना मजबूत होगा, उतने ही बेहतर तरीके से किसी महामारी से निपटा जा सकता है। कोविड- 19 से मिले सबक और अनुभवों को देखते हुए ने 'भविष्य में संभावित महामारी की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया - कार्रवाई के लिए एक रूपरेखा' तैयार करने के लिए विशेषज्ञों का एक ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में अपनी सिफारिशें सरकार को दे दी हैं।

सर्विलांस सिस्टम से लेकर डेटा मैनेजमेंट तक

महामारी के पहले 100 दिनों में तेजी से जांच, मजबूत सर्विलांस सिस्टम, डेटा मैनेजमेंट, फाइनैंस एंड मैनेजमेंट, पूर्वानुमान और मॉडलिंग, इनोवेशन रिसर्च इकोसिस्टम जैसे सभी पहलुओं पर सिफारिशें की गई हैं। विशेषज्ञों ने एक नये बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि कानून में बदलाव करना जरूरी है क्योंकि कोविड अंतिम महामारी नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया को चेतावनी दी है कि भविष्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से 75 प्रतिशत जूनोटिक खतरे (जो उभरते, फिर से उभरते और नए रोगजनकों के कारण हो सकते हैं) होने की संभावना है।विशेषज्ञों के समूह ने Pandemic Preparedness and Emergency Response (PPER) फ्रेमवर्क की वकालत करते हुए कहा है कि अलग से पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी मैनेजमेंट एक्ट होना चाहिए, जिसमें गैर-संचारी रोग, आपदाएं और जैव आतंकवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हों। यह एक्ट महामारी की रोकथाम, नियंत्रण और आपदा प्रतिक्रिया को कवर करते हुए हेल्थ मैनेजमेंट के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देगा।एक्ट में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्किल्ड पब्लिक हेल्थ कैडर के निर्माण का भी प्रावधान होना चाहिए। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि महामारी की तैयारी और इमरजेंसी रिस्पांस के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) स्थापित किया जाना चाहिए, और एक सुव्यवस्थित मशीनरी को कार्रवाई में लगाया जाना चाहिए, जो किसी भी आपात स्थिति से पहले खुद को तैयार कर ले।

बड़े पैमाने पर संक्रामक खतरे

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण बेशक अंतिम महामारी नहीं है। अप्रत्याशित रूप से ग्रह की बदलती इकोलोजी, जलवायु और मानव-पशु-पौधे की गतिशीलता को देखते हुए, मानव स्वास्थ्य के लिए नए संभावित, बड़े पैमाने पर संक्रामक खतरे संभावित हैं। इसे देखते हुए नीति आयोग ने भविष्य की महामारी की तैयारी और इमरजेंसी रिस्पांस के लिए कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया। समूह ने देखा कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कोविड-19 को कैसे मैनेज किया गया, सफलता की कहानियों और सामने आई चुनौतियों दोनों से महत्वपूर्ण सीख लेना, प्रमुख कमियों का आकलन करना, भविष्य में किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के लिए प्रभावी ढंग से तैयारी करने और रिस्पांस से जुड़ी सिफारिशें दी गई हैं।

100 दिन का रेस्पॉन्स मिशन

कोविड-19 के अनुभव से सीखते हुए एक्सपर्ट्स ने महसूस किया कि प्रभावी मैनेजमेंट के लिए प्रकोप के पहले 100 दिनों में प्रतिक्रिया देना महत्वपूर्ण है। रणनीतियों को तैयार करना जरूरी है। यह रिपोर्ट किसी भी महामारी से निपटने के लिए 100 दिन के रोडमैप को तैयार करने पर फोकस करती है। 100 दिन के रिस्पॉन्स मिशन के टारगेट को पूरा करने वाले सुझाव-
  • गवर्नेंस, कानून में बदलाव, बेहतर फाइनैंस एंड मैनेजमेंट
  • डेटा मैनेजमेंट, निगरानी और प्रारंभिक भावी चेतावनी, पूर्वानुमान और मॉडलिंग,
  • रिसर्च एंड इनोवेशन, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान देना, इंफ्रास्ट्रक्चर, क्षमता निर्माण/कौशल
  • साझेदारी, निजी क्षेत्र की भागीदारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग


from https://navbharattimes.indiatimes.com/india/niti-aayog-expert-group-report-on-public-health-emergency-after-covid-19/articleshow/113300496.cms
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