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निर्भया: रातभर चला ड्रामा, पढ़ें पल-पल की कहानी

नई दिल्ली निर्भया केस के दोषियों की फांसी की सजा रुकवाने का जो आखिरी प्रयास प्रयास गुरुवार दोपहर को शुरू हुआ, वह रात करीब साढ़े तीन बजे खत्म हुआ। यही वह वक्त था जब सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की तरफ से दोनों याचिका खारिज कर दी। पवन की ओर से पेश हुए वकील एपी सिंह ने एक याचिका में 2012 में निर्भया के साथ हुई दरिंदगी के वक्त पवन के नाबालिग होने का दावा किया था जबकि दूसरी याचिका में पवन की दया याचिका राष्ट्रपति की ओर से खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी। उससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने पवन के वकील एपी सिंह की दलीलों को आधारहीन बताते हुए याचिका खारिज कर दी थी। आइए जानते हैं, रातभर का घटनाक्रम... पढ़ें: करीब 9:45 बजे निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया। इसी वक्त निर्भया के परैंट्स भी हाई कोर्ट की तरफ बढ़े। थोड़ी देर बाद ही एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी। उन्होंने मीडिया को बताया कि उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनों जगह आवेदन किया। थोड़ी देर में हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। करीब 10:15 बजे दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजय नरुला की डिविजन बेंच में एपी सिंह की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह सिंह से पूछा कि कोई ऐफिडेविट नहीं है, कोई एनेक्सर नहीं है, कोई मेमो नहीं है। इस मामले में कुछ नहीं है। क्या आपके पास याचिका दाखिल करने की अनुमति है? इसपर एपी सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से कोई फोटोकॉपी मशीन काम नहीं कर रही हैं। कोर्ट ने कहा, आप आज 3 अदालतों में जा चुके हैं। अब आप यह नहीं कह सकते कि चीजें पहुंच से दूर हैं। आज 10 बजे रात में हम आपकी बात सुन रहे हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने भी एक याचिका लंबित है। इतनी सारी याचिकाएं लंबित होने पर भी फांसी कैसे दी जा सकती है। रात करीब 10:47 बजे दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह से कहा कि समय बीत रहा है, ज्यादा समय नहीं। आपके क्लायंट का भगवान से मिलने का समय नजदीक है। अगर आप आखिरी समय में महत्वपूर्ण बातें नहीं कहेंगे तो हम आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। आपके पास केवल 4-5 घंटे हैं। अगर कुछ दलील है तो वो दें। ऐडवोकेट एपी सिंह ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के सामने उनके गरीबी वाली पृष्ठभूमि का हवाला दिया। रात 11:05 ब जे दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सिस्टम के साथ खेल खेला जा रहा है। ढ़ाई साल दया याचिका दाखिल करने में लगे, यह कोई साजिश लगती है। रात करीब 11:30 बजे निर्भया के दोषियों के एक अन्य वकील शम्स ख्वाजा ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी दलीलें देनी शूरू कीं। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा पाए लोगों को पर दया नहीं की जानी चाहिए।वह पहली बार भी दया याचिका के वक्त भी हमारे लिए पूर्वाग्रह से ग्रसित थे।' करीब 12:05 बजे दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषियों की याचिका खारीज कर दी। करीब 12:20 बजे वकील एपी सिंह कोर्ट से बाहर निकले और मीडिया से कहा कि निर्भया केस में फैसले तो हो रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है। वह मीडिया पर बरसते रहे। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलते ही वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। रात 1:35 बजे दोषियों के वकील एपी सिंह किदवई नगर स्थित सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनवाई के लिए रात 2.30 बजे का वक्त तय किया गया। इस बीच निर्भया के परिजन भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 2:50 बजे सुनवाई के दौरान पवन गुप्ता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट मे पेश हुए वकील एपी सिंह ने दावा किया कि घटना के वक्त पवन नाबालिग था। उन्होंने स्कूल का सर्टिफिकेट, स्कूल रजिस्टर और अटेंडेंस रजिस्टर दिखाया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण ने कहा कि उन्होंने (एपी सिंह) ने पहले भी ये दस्तावेज कोर्ट को दिखाए थे। जस्टिस भूषण ने यह भी पूछा कि वकील एपी सिंह किस आधार पर मर्सी पिटिशन खारिज होने को चुनौती दे रहे हैं? एपी सिंह ने कोर्ट से कहा, 'मुझे पता है कि इन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा, लेकिन क्या दो-तीन दिन के लिए फांसी टाली जा सकती है ताकि पवन गुप्ता का बयान दर्ज किया जा सके।' रात करीब 3:10 बजे सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता के घटना के वक्त नाबालिग होने के दावे वाली याचिका खारिज कर दी। अगले पांच मिनट के अंदर यानी करीब 3:15 बजे ही राष्ट्रपति की ओर से पवन की दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकी भी खारिज कर दी गई। करीब 3:35 बजे निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, 'मैं सबको धन्यवाद देती हूं। देश की बच्चियों की लड़ाई अंजाम तक पहुंची है। अदालतों में देर करने की टैक्टिक्स अपनाई गई लेकिन हर स्तर पर अदालत ने याचिकाएं खारिज की। मैं महामहिम राष्ट्रपति का भी शुक्रिया करती हूं। वो मेरी बेटी नहीं थी बल्कि पूरे देश की बेटी थी। आज का सूरज देश की बच्चियों के नाम।'


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