2013 और 2022 की इन दो तस्वीरों में नीतीश कुमार हैं कॉमन, इसमें छिपी है गजब की राजनीतिक कहानी
नीलकमल, पटना: सोनिया गांधी के साथ मुलाकात के बाद लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की एक तस्वीर सुर्खियों में रही, यह 11 मई, 2009 की एक और पुरानी तस्वीर की याद दिलाती है। दरअसल, 2009 की तस्वीर 2013 में दोबारा से वायरल हुई थी। रविवार की तस्वीर और 2013 में वायरल हुई की तस्वीर में फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार खड़े थे और आज की तस्वीर में लालू प्रसाद यादव उनका हाथ पकड़कर उठाते हुए नजर आ रहे हैं। 2009 की उस तस्वीर की क्या है कहानी?11 मई, 2009 को लुधियाना में एनडीए की रैली थी। मनमोहन सिंह सरकार दूसरे टर्म के लिए जनता के बीच थी। आखिरी फेज का लोकसभा चुनाव होने वाला था। इसी से पहले ये रैली थी लुधियाना में, जिसमें एनडीए के तमाम बड़े नेता आए थे। बीजेपी के कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी पहुंचे थे, जिसमें नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। लुधियाना की उस रैली में नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार का हाथ थामा और ऊपर किया, विक्ट्री साइन बना। इससे एक संदेश गया कि एनडीए 2009 के लोकसभा चुनाव को लेकर एकजुट है। इसके अगले साल 2010 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने थे, जिसमें एनडीए गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला था। आरजेडी 22 सीटों पर सिमट गई थी। इसी से पहले 12 जून 2010 को बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने वही विज्ञापन प्रकाशित किया, जिसमें नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की लुधियाना रैली में एक दूसरे का हाथ थामे तस्वीर दिखाई गई। इसमें लिखा था कि गुजरात सरकार ने बिहार सरकार को 5 करोड़ रुपये की मदद पहुंचाई है। इस बात से गुस्साए नीतीश कुमार ने गुजरात सरकार की मदद को लौटा दी थी। अगले दिन 13 जून को बिहार में नरेंद्र मोदी की रैली थी। तो 12 जून की रात में नीतीश कुमार की ओर से डिनर देना था। आमंत्रण जा चुके थे, लेकिन ऐन मौके पर नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी का डिनर कैंसिल कर दिया। तस्वीर को लेकर नीतीश कुमार ने यह बयान दिया था कि वह हाथ नहीं उठाना चाहते थे, लेकिन नरेंद्र मोदी ने जबरदस्ती उनका हाथ पकड़ कर हवा में उठा दिया था। गौरतलब है कि तब बिहार भीषण बाढ़ की तबाही से जूझ रहा था। उस वक्त तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ पीड़ितों के लिए पांच करोड़ का चेक और कई क्विंटल अनाज भेजे थे। लेकिन नीतीश कुमार ने न सिर्फ 5 करोड़ की राशि वापस कर दी थी बल्कि गुजरात से आए राहत सामग्री को भी वापस लौटा दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से संबंध तोड़ कर इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी से मिले तिरस्कार के बाद झेंप मिटाने के लिए जारी की है तस्वीर अब बात 25 सितंबर 2022 के तस्वीर की। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का कहना है कि कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है संस्कार किया है कि दोनों को राष्ट्रीय राजनीति में अपनी औकात समझ में आ गई होगी। सुशील मोदी ने कहा कि सोनिया गांधी ने दोनों को मात्र 20 मिनट का समय देकर कमरे से बाहर कर दिया। इतना ही नहीं सोनिया गांधी ने ना तो उनके साथ फोटो खिंचवाई न ही दोनों को दरवाजे तक आकर विदा करने लायक समझा। सुशील मोदी ने कहा कि सोनिया गांधी की ओर से बिहार के एक पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री का एक साथ मिलने आने के बावजूद ऐसी बेरुखी जाहिर करती है कि कांग्रेस को नीतीश कुमार और उनके विपक्ष को जोड़ने की यात्रा बिल्कुल ही पसंद नहीं है। यही वजह है कि अपनी झेंप मिटाने के लिए लालू नीतीश ने हवा में से हाथ मिलाते हुए अपनी तस्वीर जारी की है। लालू नीतीश की तस्वीर पर बीजेपी का तंज बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की यह तस्वीर इस बात का प्रमाण है कि नीतीश कुमार अब पूरी तरह से लालू प्रसाद यादव के गिरफ्त में आ चुके हैं। बीजेपी के पूर्व विधायक ने कहा कि हालांकि यह भी तय है कि नीतीश कुमार पर जिसने भी भरोसा किया बदले में उसे धोखा ही मिला है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बीजेपी को दो बार धोखा दे चुके हैं। इसके अलावा लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, जार्ज फर्नांडीस समेत कई ऐसे नेता है जिसने नीतीश कुमार से धोखा खाया है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जो व्यक्ति नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री का नहीं हो सका वह किसी का नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार स्वार्थ की राजनीति करते हैं और अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। 'लालू यादव के साथ फोटो दिखाकर जंगलराज की याद दिला रहे नीतीश' बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की तस्वीर पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री यह दिखाना चाह रहे हैं कि बिहार में जंगलराज लौट चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग आज भी लालू के उस राज्य को नहीं भूले हैं जब शाम होते ही लोग पक्षियों की तरह अपने अपने घरों में लौटना शुरू कर देते थे। बिहार में अपराध उद्योग का रूप ले चुका था। अपराधी आरजेडी के संरक्षण में कर्मचारी बन कर काम कर रहे थे और उनके प्रोडक्ट होते थे डॉक्टर इंजीनियर बड़े व्यवसायी। आरजेडी के कर्मचारी बने अपराधियों की ओर से उनका अपहरण किया जाता था और फिरौती की रकम या तो मुख्यमंत्री आवास में या फिर किसी बड़े नेता के घर पर डील की जाती थी। 'बिहार वासियों से बदला ले रहे हैं नीतीश कुमार' बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब बिहार वासियों से बदला लेने का काम शुरू कर चुके हैं। प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि 2013 के बाद से ही जनता का भरोसा नीतीश कुमार से उठने लगा था। 2013 में जब उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन को तोड़ा था तभी जनता ने भी नीतीश कुमार से नाता तोड़ना शुरू कर दिया था। इसलिए 2014 के लोकसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार ने अकेले चुनाव लड़ा तब बिहार की जनता ने उन्हें महज 2 सीटों पर समेट कर रख दिया था। जनता का विश्वास खोने के बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में भी बिहार की जनता ने 115 सीटों वाली जेडीयू को महज 70 सीटों पर समेट दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने पलटी मारी और फिर से बीजेपी के साथ आ गए। लेकिन तब तक जनता समझ चुकी थी कि नीतीश कुमार भरोसे के लायक नहीं रहे। यही वजह रही कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ रहने के बावजूद बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को महज 43 सीटों पर समेट कर रख दिया। अब नीतीश कुमार घटती सीटों को देखकर बौखला गए हैं। उन्हें यह पता लग चुका है कि बिहार की जनता अब उन्हें नापसंद कर रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार वासियों से बदला लेने के लिए बिहार को फिर से जंगलराज की ओर ढकेलना शुरू कर दिया है। जिसका उदाहरण आज जारी किए गए लालू प्रसाद यादव के साथ नीतीश कुमार की तस्वीर है। उन्होंने यह भी कहा कि ठीक इसी पोज में नरेंद्र मोदी के साथ तस्वीर खिंचवाने पर नीतीश कुमार नाराज हो गए और चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव के साथ वह आनंदित महसूस कर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार को किस तरह के लोग पसंद हैं।
from https://navbharattimes.indiatimes.com/state/bihar/patna/nitish-kumar-is-common-in-these-two-pictures-of-2013-and-2022-there-is-wonderful-political-story-hidden-in-it/articleshow/94463409.cms