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मिशन 2024 के लिए BJP ने बिहार के लिए चुना गुजरात का खास सिपाही, पार्टी की खातिर घर-घर जाकर गांठते हैं दोस्ती

नीलकमल, पटना: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के केंद्रीय नेतृत्व की नजर इस बार खास बिहार पर गड़ी है। फिर चाहे लोकसभा चुनाव हो या बिहार विधानसभा का चुनाव। BJP आगामी दोनों चुनाव में पिछली बार से बेहतर चुनाव परिणाम पाने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है। केंद्रीय गृह मंत्री और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह, हर महीने बिहार का दौरा करने की बात कह चुके हैं। इससे अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि इस बार लोकसभा के चुनाव के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव में भी बीजेपी अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती है।

संगठन को धारदार बनाने के लिए सुनील ओझा को बनाया गया सह प्रभारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और गुजरात के भावनगर से दो बार के विधायक रह चुके सुनील ओझा को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने का सह प्रभारी नियुक्त किया है। गौरतलब है कि बीजेपी ने एक सप्ताह पहले ही बिहार बीजेपी के नए अध्यक्ष के रूप में सम्राट चौधरी को नियुक्त किया था और अब संगठन को धारदार बनाने के लिए हरीश द्विवेदी के साथ सुनील ओझा को भी बिहार की जिम्मेदारी सौंपी है। अगर बीजेपी के संगठन की बात की जाए तो महाराष्ट्र के विनोद तावड़े बिहार के प्रभारी है। वही उत्तर प्रदेश के हरीश द्विवेदी पहले से ही बिहार के साथ प्रभारी का कार्य देख रहे थे। अब उनके साथ बिहार में काम करने के लिए गुजरात के सुनील ओझा को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है। आपको यह भी बता दें कि बिहार बीजेपी संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया भी गुजरात के है और वह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे नहीं समझना मुश्किल नहीं है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बिहार को कितनी तवज्जो दी जा रही है।

गड़ौली धाम आश्रम की वजह से भी चर्चा में है सुनील ओझा

वाराणसी से सटे मिर्जापुर के गाड़ौली गांव स्थित गड़ौली धाम आश्रम की चर्चा वैश्विक महामारी कोरोना के सबसे बुरे दौर में इसलिए हो रही थी कि आश्रम और बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को खाना पहुंचाने का काम कर रहे थे। आपको बता दें कि 'गड़ौली धाम आश्रम' ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन द्वारा चलाया जाता है। आपको यह भी बता दें कि इस फाउंडेशन के अध्यक्ष बिहार बीजेपी के सह प्रभारी बनाए गए सुनील ओझा ही हैं। बताया जाता है कि इन दिनों 'गड़ौली धाम आश्रम' में बीजेपी से टिकट पाने चाहत में कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रहती थी। इसलिए अब यहां कार्यकर्ताओं को टिकट के लिए आने से मना कर दिया गया है। आपको यह भी बता दें कि आश्रम में बालेश्वर महादेव का भव्य मंदिर स्थापित है तो इसके अलावा गौरी शंकर की 100 फुट से उनकी प्रतिमा लगाने का काम भी किया जा रहा है। आश्रम द्वारा सामूहिक विवाह, बच्चों में खेल के प्रति जागरूकता लाने के लिए खेल महोत्सव और गाय के महत्व वह बताने के लिए 'हर घर गाय' नाम से एक अभियान भी चलाया जाता है।

क्या है बिहार बीजेपी सह प्रभारी सुनील ओझा का राजनीतिक इतिहास

बिहार बीजेपी के नवनियुक्त सह प्रभारी सुनील ओझा 2014 लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी बनाए गए थे। बताया जाता है कि सुनील ओझा बैठकों पर नहीं, बल्कि संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ता और जनता के घरों तक अपनी पहुंच बनाने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि उन्हें जिन इलाकों का कार्य सौंपा जाता है वहां बीजेपी का संगठन काफी मजबूत हो जाता है। हालांकि सुनील ओझा के राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से ही हुई थी, लेकिन एक बार उन्होंने बीजेपी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी काम किया था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी होने की वजह से उन्होंने बीजेपी में वापसी की और पार्टी ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंप दी। 2014 में उत्तर प्रदेश के साथ प्रभारी बनाये गए सुनील ओझा के जिम्मेवारी वाले क्षेत्र में बीजेपी को आशा से अधिक सफलता मिली थी। आपको यह भी बता दें कि सुनील ओझा के यूपी के सह प्रभारी रहते बीजेपी को 2017 और 2022 की विधानसभा और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी और आसपास के इलाके में बड़ी सफलता मिली थी। और अब अमित शाह ने सुनील ओझा को 'मिशन बिहार' पर लगा दिया है।


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