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महिला का हत्या और घंटों बर्बरता से 'रेप', लेकिन हाई कोर्ट ने आरोप से किया बरी... जानें क्यों

बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार नेक्रोफिलिया को अपराध बनाने के लिए कानून में संशोधन करे। अदालत ने केंद्र सरकार से यह भी आग्रह किया कि या तो आईपीसी की धारा 377 में संशोधन किया जाए या नेक्रोफिलिया को आपराधिक बनाने के लिए एक अलग दंडात्मक प्रावधान पेश किया जाए। मामला शव के साथ रेप का है। कानून में शव के साथ रेप को लेकर कोई धारा नहीं है इसलिए हाई कोर्ट को इस मामले में आरोपी को बरी करना पड़ा। न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा और न्यायमूर्ति टी. वेंकटेश नाइक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'केंद्र सरकार को मृतक के शरीर की गरिमा की रक्षा के लिए आईपीसी के प्रावधानों में संशोधन करने की सिफारिश की जाती है, ताकि मृतक के शरीर की गरिमा की रक्षा की जा सके।' 6 महीने की अवधि के भीतर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत विचार किए गए व्यक्ति के जीवन के अधिकार में उसके मृत शरीर का अधिकार शामिल है।हत्या और दुष्कर्म का यह मामला 25 जून 2015 का है। आरोपी और पीड़िता दोनों तुमकुर जिले के एक गांव से थे। आरोपी ने एक महिला की हत्या कर दी थी और फिर उसके शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। अदालत ने हालांकि भारतीय दंड संहिता की धारा 302के तहत उसे कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

'शव को शख्स नहीं माना जा सकता'

न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक टी की पीठ ने 30 मई के अपने आदेश में कहा, 'आरोपी ने शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए। क्या यह भारतीय दंड संहिता की धारा 375 अथवा 377 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है? धारा 375 तथा 377 का सावधानीपूर्वक अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि पार्थिव शरीर को मानव अथवा व्यक्ति नहीं माना जा सकता।'

ब्रिटेन और कनाडा में है कानून

पीठ ने आदेश में कहा, 'इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 375 अथवा धारा 377 के प्रावधान लागू नहीं होंगे....।' हाई कोर्ट ने ब्रिटेन और कनाडा सहित कई देशों का उदाहरण दिया जहां पार्थिव शरीर के साथ शारीरिक संबंध बनाना और शवों के साथ अपराध दंडनीय अपराध हैं और कहा कि ऐसे प्रावधान भारत में भी लाए जाएं।

हाई कोर्ट ने दिए ये आदेश

अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि शवों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए छह महीने के भीतर सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के मुर्दाघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इसने मुर्दाघरों के ठीक से नियमन और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने की भी सिफारिश की।


from https://navbharattimes.indiatimes.com/state/karnataka/bengaluru/karnataka-high-court-said-could-not-punish-rape-on-the-dead-body-accused/articleshow/100663100.cms
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